देवी जस गीत लीरिक्स Devi Jas Geet Lyrics Part 2

Devi Jas Geet Lyrics Part 2 के अंतर्गत प्रस्तुत है विभिन्न प्रकार के जस का संग्रह । शारदेय एवं चैत्र नवरात्रि मे माँ दुर्गा के विभिन्न 9 रूपों के अलावा शिव, पार्वती, राम सीता, महाभारत काल के पात्र, कृष्ण के अतिरिक्त अलग अलग क्षेत्रों मे हुये महान भक्तों के विभिन्न जस भी गाये जाते हैं । इन सभी को मध्यप्रदेश के महकौशल क्षेत्र में जस  के रूप में गाया जाता है ।

इस Devi Jas Geet Lyrics Part 2 भाग में शारदेय एवं चैत्र नवरात्रि मे माँ दुर्गा के विभिन्न 9 रूपों के अलावा शिव, पार्वती, राम सीता, महाभारत काल के पात्र, कृष्ण के अतिरिक्त अलग अलग क्षेत्रों मेन हुये महान देवी भक्तों जैसे धानू एवं अन्य देवी भक्तों, रामभक्तों तथा कृष्ण भक्तों के विभिन्न जस भी गाये जाते हैं ।

Table of Contents

(1)
दिन चार के हो गौरा रानी मायके जइयो ।

दिन चार के हो गौरा रानी मायके जइयो ।
हम जोगी हम जोगी रनिया तीरथ जाय ॥
कटे गौरिया रे भोला मेरे माये म मायको।
धार लेयो धर लेयो भोला अंग लगाय ॥
मेरे संग मेरे संग हो गौरैया भूकन भरे ।
मर जारे मर जारे रानिया धाम और प्यास ॥
भूक कारण हो की भोला मेरे साबुया पिसाइयों ।
प्यास कारण भोला नीर बरसाय ॥
धान आरन हो भोला मेरे बदली छवाइयो ॥
धार लेयो धर लेयो भोला अंग लगाय ॥
……………….…………………………………………………

(2)
सुंदर मालन मेरी माँ, आरती की बिरिया होने लगी माँ ॥


सुंदर मालन मेरी माँ, आरती की बिरिया होने लगी माँ ॥

पहली आरति ये हो माँ कमलापति की माँ ,
जो जनम ड़ाए रे हमार ॥ आरती ॥
दूसरी आरती ये हो माँ सरस्वती की ओ माँ ,
जो ड़ाए है रे ज्ञान ॥ आरती ॥
तीसरी आरती रे ये वो शीतला माता की माँ,
जो मन बसी रे हमार ॥ आरती ॥
चौथी आरती रे ये वो माँ, चौसठ जोगिनी की रे,
खप्पर पर लाई हाथ ॥ आरती ॥
रही आरती रे ये वो माँ, सबरी मटा की ,
सब मिल घर रही ध्यान ॥ आरती ॥
सुमर सुमर माई तेरो रे आरती ,
रखियों चरण चितलाए ॥ आरती ॥
…………………………………………………………………………………………………

(3)
अंगना में बजत बधाई हो मैया मेरी पण्डा दरश को आए ।।

अंगना में बजत बधाई हो मैया मेरी पण्डा दरश को आए ।।
शिवशंकर मैया नेहत बुला लए, संग में गौरा मैया आ गई वो ॥ मैया मेरी ॥
राम लखन मैया नेहत बुला लए, संग में सीता मैया आ गई वो ॥ मैया मेरी ॥
ब्रम्हा विष्णु मैया नेहत बुला लए, संग में लक्ष्मी मैया आ गई वो ॥ मैया मेरी ॥
पाँच पांडव मैया नेहत बुला लए, संग में द्रोपदी आ गई वो ॥ मैया मेरी ॥
गंगा जमना मैया नेहत बुला लए, संग में सरस्वती आ गई वो ॥ मैया मेरी ॥
चंदा सूरज मैया नेहत बुला लए, संग में तारे भी आ गई वो ॥ मैया मेरी ॥
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाये, चरण छोड़ कहाँ जाये वो ॥ मैया मेरी ॥
…………………………………………………………………………………………….

(4)
घुँघरू बांध लई माई ने, घुंगरू बांध लई रे, माई ने कर लई सोलह रे सिंगार ॥

घुँघरू बांध लई माई ने, घुंगरू बांध लई रे, माई ने कर लई सोलह रे सिंगार ॥
माथे उनके बिंदिया सोहे, टिकली की झँकारी राम,
सिंदूर भर लई रे माई ने, सिंदूर भर लई रे ॥ घुंगरू बांध ॥
नाक में उनके नथनी सोहे, लटकन की झनकारी राम,
लोंग पहन लई रे माई ने, लोंग पहन लई रे ॥ घुंगरू बांध ॥
कानों में उनके झुमकी सोहे, कुंडल की झँकारी राम,
बाली पहन लई रे माई ने, बाली पहन लई रे ॥ घुँघरू बाँध ॥
गले में उनके हरवा सोहे, हीरे की झँकारी राम,
मोतीमन माला पहन लई रे, माला पहन लई रे ॥ घुँघरू बांध ॥
हाथ मे उनके चूड़ी सोहे, कंगन की झँकारी राम,
छल्ला पहन लई रे माई ने, छल्ला पहन लई रे ॥ घूँघरु बांध ॥
कमर में उनके करधन सोहे, गुच्छे की झनकारी राम,
केस बांध लई रे माई ने, केश बांध लई रे ॥ घुँघरू बांध ॥
पाँव में उनके पायल सोहे, बिछिया की झनकारी राम,
महावर लगा लई रे माई ने, महावर लगा लई रे ॥ घुँघरू बांध ॥
…………………………………………………………………………………………

(5)
ले पुजा हो देवी चंडिका हो माँ ॥

ले पुजा हो देवी चंडिका हो माँ ॥
अहिरावण वन आयो, हर लई दोनों वीर रे,
राम लखन की जोड़ी, हर ले गयो पाताल ॥ ले पुजा ॥
नगर ढिंढोरा पीते, सुनो गाँव के लोग,
राम लखन दोनों को पूजे चंडी के पास ॥ ले पुजा ॥
राम लखन की जोड़ी, गई मढ़िया के पास,
मेवा और मिठाई, कर रहे पुजवान ॥ ले पुजा ॥
अरे अहिरावण एसो बोलो, सुनो बालक बात,
सुमरन हो तो सुमर लो, कौन करत सहाय ॥ ले पुजा ॥
रामचन्द्र ऐसे बोले, सुनो लक्ष्मण बात,
भारत शत्रुघन होते, वे ही करत सहाय ॥ ले पुजा ॥
भारत शत्रुघन सोहे, हनुमत बलवीर,
अंजनी पुत्र पवन सूत, वे ही करत सहाय ॥ ले पुजा ॥
रूप धरो चंडिका को, हनुमत बलवीर,
मेवा और मिठाई, सब आप ही खाये ॥ ले पुजा ॥
हनुमत एसो गरजो, जैसे गरजत काल,
मढ़िया गई रे शरण में, चंडी गई रे पताल ॥ ले पुजा ॥
सुमर सुमर जस गाये रे, मैया तेरे दरबार,
भकतन की लज्जा राखो, चरणन आस लगाए ॥ ले पुजा ॥
………………………………………………………………………………..

(6)
मैया बेगी सुमरु देवी, जालपा हो माँ ॥

मैया बेगी सुमरु देवी, जालपा हो माँ ॥
महिषासुर एक दानव रे, जग भयो परचण्ड ,
युद्ध करण सब जीते, धरती के नवखंड ॥ मैया बेगी ॥
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव रे, माने सब हार,
जीत लियो इंद्रासन, बड़ो करत प्रहार ॥ मैया बेगी ॥
सकल देव उठ भागे रे, माई दुर्गा के पास,
त्राहि त्राहि कर आए, राक्षस को त्रास ॥ मैया बेगी ॥
तू मेरी आदि भवानी रे, देवी सुनहु पुकार,
महिषासुर को मारो, मैया करो उद्धार ॥ मैया बेगी ॥
क्रोध कारण उठ गरजी रे, कर धर हथियार,
लंगूरा ने सिंघला पलानो, देवी भई असवार ॥ मैया बेगी ॥
हंसा पे चढ़ ब्रम्हा आ गए रे, रथ गरुड गोपाल,
नंदी पे चढ़ भोला आ गए, संग भूत बेताल ॥ मैया बेगी ॥
कोन बरन माई दुर्गा रे, काहे पे असवार,
कोन बरन महिषासुर, काहे पे असवार ॥ मैया बेगी ॥
लाल बरन दुर्गा रे, सिंघला पे असवार,
कारो बरन महिषासुर , रण भैसा असवार ॥ मैया बेगी ॥
महिषासुर जब गरजो रे, धायो बलवीर,
सकाल देवता भागे, मन धरण न धीर ॥ मैया बेगी ॥
जब रण में कलकारी रे, जैसे गरजत काल ,
महिषासुर ने देखो, लोचन कर लाल ॥ मैया बेगी ॥
विष्णु चक्र घुमाए रे, क्रोध करे जगदीश,
दुर्गा ने खड्ग प्रहारी, काटी रिपु शीश ॥ मैया बेगी ॥
जय दूरगे जय दूरगे रे, गति आगम अपार,
जन की सोच निवारी, हरी धरती को भार ॥ मैया बेगी ॥
अस्तुति कर सुर आए रे, सब अपने धाम,
बेगीराम जस गाये, देवी दुर्गा के आम ॥ मैया बेगी ॥
……………………………………………………………………………….

(7)
संकट हरण देवी शारदा हो माँ ॥

संकट हरण देवी शारदा हो माँ ॥
ब्रम्हा पे संकट पड़ गओ रे, मैया हो गई रे सहाय ,
कुम्भकरण की मति फेरि, नींद मांगी छह मास ॥ संकट हरण ॥
देवान पे संकट पड़ गओ रे, शारदा हो गई सहाय ,
केकई की मति फेरि, राम गए वनवास ॥ संकट हरण ॥
हनुमत पे संकट पड़ गओ रे, मैया हो गई सहाय,
रावण की मति फेरि, ब्रम्ह्पाश से छुड़ाय ॥ संकट हरण ॥
आल्हा पे संकट पड़ गओ रे, शारदा हो गई सहाय,
बावनगढ को जीतो, आल्हा अमर कराय ॥ संकट हरण ॥
धानू पे संकट पड़ गओ रे, मैया हो गई सहाय,
दरश ड़ाए सेवक को, संग मे रहे छाय ॥ संकट हरण ॥
………………………………………………………………………………….

(8)
तेरे शरण हम आए सिंह वाहिनी हो माँ ॥

तेरे शरण हम आए सिंह वाहिनी हो माँ ॥
सकत देवता उठकर भागे रे गए ब्रम्हा के पास,
सब मिलकर पहुंचे विष्णु के पास ॥ तेरे शरण ॥
विष्णु लोक से चालत भए गए कैलाश,
हाथ जोड़ विनती करे, सुनो शंभू अविनाश ॥ तेरे शरण ॥
देवता गए हिमालय रे, देव विनय सुनाए,
देवी गौरा को, सब रहे मनाए ॥ तेरे शरण ॥
शुंभ निशुंभ दोनों दानव, वर पाये अपार ,
कठिन तपस्या किन्हों, ब्रम्हा से वर लिन्हो अपार ॥ तेरे शरण ॥
पार्वती मैया आई, गंगा कारण गई असनान ,
पुच राय देवी देवों से, करो कौन को ध्यान ॥ तेरे शरण ॥
देवता की वाणी सुन लाई रे, प्रगति कौशिकी माई,
पार्वती सा अंग प्रगटी कौशिकी नाम कहारी ॥ तेरे शरण ॥
हिमालय से प्रगटी मैया कालरात्रि कहाय,
शत्रु की नाश करो बोली दुर्गा माई ॥ तेरे शरण ॥
तेरे चरण बलहारी मैया, माई देवी के दरबार,
रामकिशन जस गाये मैया सुनलों पुकार ॥ तेरे शरण ॥
……………………………………………………………………………………….

(9)
माई के द्वारे एक नीरिया रोवे, अंसुवन सीजे गुलजारी माया॥

माई के द्वारे एक नीरिया रोवे, अंसुवन सीजे गुलजारी माया॥
मंडिया मे से बोले जगतारण, का अंकट है तोय माया ।
कहा नाम है तेरी सुंदरी, कौन एसजी नार कहाय माया ,
पवन रेखा है नाम हमारों, उग्रसेन भरतार माया ।
घर के राजा बास क़हत है लगे कलेजे बोल माया ।
बांझ का नाम मिटाय जगतारण, या कारण मे आई माया ।
रथ पे बैठी संग सखिन के, बन मे घुमन जाय माया ।
दसमे महिना पुत्र हो गयो, वो हौए बलवान माया ।
वन मे घुमत पहुँच रानी, बंबूढ़ा एक अम्बा माया ।
बूढ़ा मे दैत्य हटो बाके, दिन की रैन बनाई माया ।
हाथ पकड़ रानी के ले गयोटेरी पुन हो माया ।
दसमे मास कंस पैदा भाए, असगुन ये है अनेक माया ।
आँधी बहुत ज़ोर से आई, गर्जन लागे मेट माया।
माघ सुदी तेरस को केएनएस भाए दिनसा बिसतरवार माया ।
पुत्र जन्म सुन उग्रसेन को, हिमरा लेक हिलोर माया ।
मंगलवार कराय नृपत मे, पंडित लाये है बुलाय माया ।
पंडित ने अनुमान लगायों, बालक अति बलवान माया ।
कंस नाम व को रख देओ, देगा दुख अनेक माया ।
पाँच भगत मई तेरे गुण कवि रामराव हर्षाय माया ॥
………………………………………………………………………………………

(10)
गंगा जमुना की बारी रेत में, दुर्गा ने कोट उठाई माया ॥

गंगा जमुना की बारी रेत में, दुर्गा ने कोट उठाई माया ॥
कोट उठाए मैया बुगुरा बनाए कलश परेरी आसमान माया ।
ता ऊपर चढ़ देखे जगतारण, दिशाग में चार देश माया ।
चार देश की चार ध्वजा री माई, धानू के ध्वजा नहीं आई माया।
का तेरो धनु माया मे भूलो री मई, का रतिया बिलसाय माया।
ना मेरो धनु माया में भूलो री आई, न नरिया में बिलसाय माया ।
अस्सी कोसला नदी सतलज, किसविधि उतरेंगे पार माया ।
बढ़ाई को एक बालक बुलाओ री माई, चन्दन पेड़ कटाओ माया।
नदी सतलज की नौका बनाड़े, मढ़ैया के लाल किवाड़ माया ।
कोण तेरी नौका में जगतारण, कौन हे खेवर हार माया ।
देवी शारदा नौका में बैठी वो मई, लंगूरे है खेवनहार माया ।
धर्मी धर्मी भार उतार गए, पानी रहे मझधार माया ।
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाये, चरण छोड़ कहाँ जाए माया ।
………………………………………………………………………………….

(11)
सिर पर हीरा सोहे री जगदम्बे भवानी, कानों में झुमकी झूल रही हो माँ ॥

सिर पर हीरा सोहे री जगदम्बे भवानी, कानों में झुमकी झूल रही हो माँ ॥
काहे को मैया तेरे मंदिर बनो है, काहेके लगे दरवाजे री ,
सोने को मैया मंदिर बनो , लाल लगे री दरवाजे भवानी ॥ जगदम्बे भवानी ॥
काहे को मैया तेरे बाग बगीचा, काहे की फुलवारी री ,
नारियल को मैया तेरे बाग बगीचा, चम्पाकली फुलवारी ॥ जगदम्बे भवानी ॥
पाप निवारण आई जगतारण, नगरे चले अगवानी री ।। जगदम्बे भवानी ॥
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाउ, चरण आस लगाए री ॥ जगदम्बे भवानी ॥
……………………………………………………………………………….

(12)
भजो रे मन तुलसी सीता राम कहो मेरी माँ ॥

भजो रे मन तुलसी सीता राम कहो मेरी माँ ॥
साँझ भई दिन गयो बुढन को, गौहान बेरमाई हो राम,
गौवा बछड़ा बांध के, तुलसी चले ससुराल गयो हो राम ।
आगम पंथ एक नधिया बहत है, मुर्दा बात बहो हे राम।
उस मुर्दा की बाह पकड़ , तुलसी पार गयो हो राम ।
आसपास सब घूम घूम के देखो दरवाजे तपा में राम ।
बीच भवन में साथ को वो ही, पदक तुलसी ऊपर जाहे हो मेरी माँ
तू तो तिरिया ज्ञान की पूरी, तूने ज्ञान दियो हो माँ ॥ भजो ॥
……………………………………………………………………………………….

(13)
राजा जनक के द्वार में हो माँ ॥

राजा जनक के द्वार में हो माँ ॥
कौन शहर बसाये रे, कोने सिंगार,
कोने कलश रखायो, गंगा की धार ॥ राजा ॥
राजा शहर बसायों रे, रति का सिंगार,
देवी कलश रखायो रे, गंगा की धार ॥ राजा ॥
कोने ताल खुदाए रे, कोने अमृत बाग,
कोने भुवन बनाए, गिरजा करत विस्तार ॥ राजा ॥
विष्णु टार खुदाए रे, विधि अमृतबाग,
जनक ने भुवन बनाए, गिरजा करत विस्तार ॥ राजा ॥
इंद्रा वर्ण ने रच दियो रे, आर रति कर चंद,
रंग भुवन बनाए तारा गण रात ॥ राजा ।।
को ने फूल बनाए रे, नारियल अर लाख,
लॉन्ग लायची केवड़ा, केशव रंग कारज ॥ राजा ॥
दुर्गा फूल बनवाए रे, नारियल अर लाख,
लॉन्ग लायची केवड़ा, नारियल रंग लाख ॥ राजा ॥
पाँच भगत मिल जस गाये रे, चरनन चितलाय,
करी कृपा जगतारण, एनआईटी करो सहाए ॥ राजा ।।
……………………………………………………………………………………….

(14)
माई हृदय बसो हिंगलाजनी हो माँ ॥

माई हृदय बसो हिंगलाजनी हो माँ ॥
बसे शीश पर सीता रे, और सती सुकुमार,
नैन में नैनन देवी, कर रही निवार ॥ माई हृदय ॥
मस्तक में महारानी रे, विध्याचल माय,
भ्रकुटी बसे भैरवी, भुंघराले बाल ॥ माई हृदय ॥
बसे नासिका देवी रे, नव दुर्गा माय ,
मुख में मंगल मात, करे मंगलाचार ॥ माई हृदय ॥
गले में गौरी गिरजा रे, करती कल्याण,
कंठ में काली माता, गल मुंडन माल ॥ माई हृदय ॥
कान में कमला देवी रे, करती कल्याण,
रूप भयंकर धारे, लिए हाथ कृपाण ॥ मई हृदय ॥
रॉम रॉम में रमारे, कर रही निवास,
दोऊ हाथ जोड़ करे विनती, करे दाग हुलास ॥ माई हृदय ॥
……………………………………………………………………………………….

(15)
मैया तोहे मनाऊँ सिंह वाहनी हो माँ ॥

मैया तोहे मनाऊँ सिंह वाहनी हो माँ ॥
दुर्गति हरण दुर्गा भाई रे, दुष्ट मारन काली माया ,
पालन को लक्ष्मी भई, बुद्धि देत शारदा माया ॥ मैया तोहे ॥
महिषासुर मारन को, मैया लई अवतार,
महिषासुर को मारी, मैया लई अवतार ॥ मैया तोहे ॥
दुगर्म नामको दानव, देवन्ह दुख दीन्ह ,
दुर्गम दानव मारी, रूप दुर्गा को लीन्ह ॥ मैया तोहे ॥
देवन्ह जब स्तुति करी, प्रगटी कालिका माई,
शुंभ निशुंभ डोई मारी, रन खेतन जाय ॥ मैया तोहे ॥
रक्त बीज मैया मारी, काली रूप लियो धार ,
हाथ में खप्पर लिनही, हरी भूमि को भार ।। मैया तोहे ॥
महारावण मैया प्रगति, शक्ति में अपार,
महाकाली मैया बनके, डायो दानव मार ।। मैया तोहे ॥
नाथुराम चरणों में, मैया ध्यान लगाय ,
सिंघवाहिनी मैया मेरी, करियों सहाय ॥ मैया तोहे ॥
…………………………………………………………

(16)
माई जुग जुग झूले जग तारणी हो माँ ॥

माई जुग जुग झूले जग तारणी हो माँ ॥
सतजुग झूले हिंडोला रे, जगतारन माई ,
झूले चराहु मलकिया, धर्म ध्वजा लहराये ॥ जुग जुग ॥
द्वापर चले हिंडोला रे, झूले जगतारन माई,
देखे आदि भवानी, अद्भुत रूप दिखला जाये ॥ जुग जुग ॥
त्रेता में कंकालि रे, धरे रूप विशाल,
अहिरावण के मारी, रही जीभ निकाल ॥ जुग जुग ॥
झूला झूले कलजुग में र, कालिका की डाल ,
जो जन करे स्तुति, फल दे तत्काल ॥ जुग जुग ॥
सतजुग द्वापर त्रेता रे, कालिकाल की डाल ,
मात कुशल कौशल की, रखो सदा दयाल ॥ जुग जुग ॥
……………………………………………………………………………………

(17)
ऐसी रंगाओ रंग चुनरी हो माई ॥

ऐसी रंगाओ रंग चुनरी हो माई ॥
कोर कोर पे कृष्णा रे, रहे मुरली बजाए ।
सब सखियों में संग आहे रास रचाए ॥ ऐसी ॥
क्षीर समुद्र के वासी रे, विष्णु भगवान,
लक्षमी चरण दबाये, शेष कर रहे छाँव ॥ ऐसी ॥
गंगा जमना लिख दो रे, कावेरी धाम,
मत नर्मदा लिख दो, और चारही धाम ॥ ऐसी ॥
नर नारायण लिख दो रे, सृष्टि के कर्तार,
महिमा जिनकी न्यारि, जाने संसार ॥ ऐसी ॥
रामेश्वर जी लिख दो, बद्रीनाथ धाम,
काशी बनारस लिख दो, मथुरा कैलाश ॥ ऐसी ॥
बीच में लिख दो दुर्गा रे, भाई सिंह सवार,
जगतारन माँ आई, ले नौ अवतार ॥ ऐसी ॥
लज्जा राख़ भवानी रे, तेरे गुण गाये ,
सबकी लाजा रखना, कहे संत कुमार ॥ ऐसी ॥
……………………………………………………………………………

(18)
माई रक्षा करो विध्यवासिनी हो माँ ॥

माई रक्षा करो विध्यवासिनी हो माँ ॥
पश्चिम देवी तुलजारे कर धर त्रिशूल,
हिंगलाज की हिमगीर, करो पाप संहार ॥ रक्षा करो ॥
दुनिया में देवी ज्वाला रे, करे जग जोत अपार,
काम रूप कामाख्या, पुजवे मन आस ॥ रक्षा करो ॥
पूरब में फूलवती रे, जग करत प्रकाश,
मदीय ध्यान लगाओ, ज्वाला से ध्यान ॥ रक्षा करो ॥
उत्तर उतरी शक्ति रे, रंग की धार,
पापिन पाप कटन को, आइसो रचो उपाय ॥ रक्षा करो ॥
ऐसी मति कर मेरी, तेरे धरू ध्यान,
चूक माफ कर दिजो, निज बालक जान ॥ रक्षा करो ॥
पाँच भगत जस गावे रे, तुम होउ दयाल ,
चरनन शीश नवावे, जन छोटेलाल ॥ रक्षा करो ॥
…………………………………………………………………………………………….

(19)
मैया जय देवी हंसवाहनि हो माँ ॥

मैया जय देवी हंसवाहनि हो माँ ॥
सुर नर मुनि जन आए रे दिग्पाल,
ब्र्म्ह विष्णु आए, शिव सहित गोपाल ॥ मैया जय देवी ॥
करे स्तुति मिल के रे, सुन शारदा मई ,
दुमति हरो भवानी, देओ सुमन लखाय ॥ मैया जय देवी ॥
हंस वाहनि प्रगति, सुन वचन सूजान,
पुस्तक वीणाकर में, अति ज्ञान निधान ॥ मैया जय देवी ॥
पाई लक्षमी विष्णु रे, जग पालन हार ,
ब्र्म्ह पाये रचना, रच ड़ाए संसार ॥ मैया जय देवी ॥
सकाल देव जब हारे, विनय करे कर जोड़ ,
राखो लाज भवानी, करे विनय किशोर ॥ मैया जय देवी ॥
……………………………………………………………………….

(20)
सब देव मनाए देवी जालपा हो माँ ॥

सब देव मनाए देवी जालपा हो माँ ॥
महिषासुर एक दानव रे, जग भयो पर्चण्ड ।
युद्ध करत सब जीते, धरती नौ खंड ॥ देव मनाए ॥
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव रे मानी सब हार,
जीत लई इंद्रासन, ठाड़ों लदत प्रचार ॥ देव मनाए ॥
सकाल देव सब भागेरे, राक्षस की त्रास,
त्राह सब आए दुर्गा के पास ॥ देव मनाए ॥
तुम हो आदि भवानी रे, देवी सुनहु पुकार ,
महिशासुर बर यारी कराहु संहार ॥ देव मनाए ॥
क्रोध करत उठ बैठी रे, कर धर हथयार,
लंगूरे सिंह पलपनों देवी भाई असवार ॥ देव मनाए ॥
गरुड़ चड़े हरी आए रे, नंदी शिवनाथ,
ब्रम्हा हंस विराजे, भाए दुर्गा के साथ ॥ देव मनाए ॥
महिषासुर जब धायों रे, जोधा बलवीर,
क्सल देव उठ भागे मन धरत न धीर ॥ देव मनाए ॥
जब रण मे ललकारो रे, जैसे गरजत काल,
महिषासुर को निरखो लोचन कर लाल ॥ देव मनाए ॥
विष्णु चक्र फटकारो रे कोपे जगदीश,
दूरगे ने खड्ग समारो काटो रिपु दर शीश ॥ देव मनाए ॥
खंड खंड कर दारो रे राक्षस पर वार,
अस्तुति कर सर बरसे फूलन के हार ॥ देव मनाए ॥
विनय करत सुर आए रे , सब अपने धाम,
रामराव जस गावे, जपे दूरगे को नाम ॥ देव मनाए ॥
………………………………………………………………………………………………….

(21)
मैया सबसे बड़ी रे देवी शारदा हो माँ ॥

मैया सबसे बड़ी रे देवी शारदा हो माँ ॥
तीन लोक के ऊपर रे, शारदा पूरी तो बताय ,
जहा पर बैठी शारदा, सबको ज्ञान सिखाय ॥ सबसे बड़ी ॥
शक्ति शिव उपजाए रे, शिव ने विष्णु बनाय ,
विष्णु उपजाए ब्रम्हा को, ब्रम्हा शारदा बनाए ॥ सबसे बड़ी ॥
ब्रम्हा उत्पन्न करते रे, विष्णु पालन हार ,
शारदा ज्ञान सिखाये रे, शिव करे संहार ॥ सबसे बड़ी ॥
ब्रम्हा वेद उचारे, शंकर ध्यान लगाए,
इंद्र चरण में लोटे, विष्णु चमार दुलाय ॥ सबसे बड़ी ॥
जब से शारदा उपजी रे, नहीं लियो अवतार,
जन्म से क्वारी मैया रे, कोई नहीं भरतार ॥ सबसे बड़ी ॥
देवी में बड़ी देवी रे, शारदा हो माई,
नाथुराम जस गाये, मैया के दरबार ॥ सबसे बड़ी ॥
………………………………………………………………………..

(22)
मैया प्रकट भाई जगतारणी हो माँ ॥

मैया प्रकट भाई जगतारणी हो माँ ॥
महाप्रलय के बाद में रे, जल भरे है अपार ,
अंधकारी सारी दुनिया, जल भरे संसार ॥ प्रकट ॥
जल भर के मैया अंदर रे, शक्ति खड़ी निरकार,
रचना कारण को शक्ति, रूप धरे साकार ॥ प्रकट ॥
गौर वर्ण मैया के, तीन नेत्र विशाल,
चंदा सोहे मस्तक पर, माथे मुकुट विशाल ॥ प्रकट ॥
हरे कुसम अंग चुनिया, चुनरी है लाल,
भस्म कंगन हाथों मे, गले सोहे मणि माल ॥ प्रकट ॥
सृष्टि की रचना करने में, मैया करत विचार,
जल अंदर मैया थाड़ी, जल माथे बारंबार ॥ प्रकट ॥
नाथुराम जस गाये रे, शक्ति पुराण के आधार,
कृपा दृष्टि मैया करियों, आए शरण तुमहार ॥ प्रकट ॥
…………………………………………………………………………………..

(23)
मैया वीणा बजावे देवी शारदा हो माँ ॥

मैया वीणा बजावे देवी शारदा हो माँ ॥
बुद्धि दें को प्रगटी रे ब्रम्हा जी के धाम ,
चरण कमाल तेरे बंदो, सरस्वती है नाम ॥ वीणा बजावे ॥
रतन मुकुट सिर सोहे रे, गल मूतियन हार,
मैया कानन कर्णफूल है, नाक नाथ रतनार ॥ वीणा बजावे ॥
श्वेत रूप मैया के रे, श्वेत दिव्य अलांकार,
श्वेत वस्त्र मैया को, श्वेत हंसा सवार ॥ वीणा बजावे ॥
श्वेत कमाल दल बैठी रे, श्वेत सार शृंगार ,
निर्मल बुद्धि करती, करे ज्ञान संचार ॥वीणा बजावे ॥
गायक सो सुर देती रे, वादक को सुरताल,
निर्धन को धन देकर, करती है प्रतिपाल ॥ वीणा बजावे॥
सिर धर मैया विनती सुनियों कीजे उपकार,
मैया कंठ विराजो सेवक के रचना करे अपार ॥ वीणा बजावे ॥
नाथुराम जस गाये, शारदा देवी दरबार,
मैया जस फले दुनिया में, कीर्तन बढ़े अपार ॥ वीणा बजावे ॥
………………………………………………………………………

(24)
बिंदिया जो गिर गई जमुना पार में हो माँ ॥

बिंदिया जो गिर गई जमुना पार में हो माँ ॥
ढूंडो ढूंडो रे मेरे मन के कन्हैया, मुरली के बजइया , गौआ के चरैया, नंदलाल ॥ बिंदिया ॥
कहा जा बिंदिया उपजी हो माँ, कहा मोल बिकाइ रे,
मथुरा में बिंदिया उपजी हो माँ, मथुरा मोल बिकाइ रे,
किनने बिंदिया ले लई हो माँ, कोन चुकाए दाम रे,
राधा ने बिंदिया ले लई हो माँ, कृष्ण चुकाए दाम रे , ॥ बिंदिया ॥
…………………………………………………………………………….

(25)
भोलेनाथ मनाइगे हो माँ ॥

भोलेनाथ मनाइगे हो माँ ॥
श्री गिरजा पति स्वामी रे, जाता बहे गंगाधार,
बाए अंग छबि सोहे, बैठी गिरजा वो नार ॥ भोलेनाथ ॥
आप जालंधर मारे रे, गुण गाये संसार,
सव जग हर्षए, सुर बरसाए फूलन हार ॥ भोलेनाथ ॥
सागर मंथन किनों रे, निकली है विष ज्वाल,
विष की ज्वाला पीके, बाबा हो गए निरंकार ॥ भोलेनाथ ॥
ऐसी ज्वाला कबाहु न देखि, तीनों लोक में हाहाकार,
सब देवता माँ घबराए, करम बिगाड़ो कर्तार ॥ भोलेनाथ ॥
भोला बड़ो बरदानी रे, डाइयो ऐसों वरदान,
सूरदास की विनती, सुन लाइयों महाराज ॥ भोलेनाथ ॥
……………………………………………………………………………………….

(26)
पिवे जहर का प्याला हो मैया मेरी डाले गले में नागकाला ॥

पिवे जहर का प्याला हो मैया मेरी डाले गले में नागकाला ॥
कहा लगा दउ मैया बेला ओ चमेली,कहा लगा दउ अनार हो ।। मैया मेरी ॥
अंगना लगा दउ बेला रे चमेरी, बड़ के लगा दउ अनार हो ॥ मैया मेरी ॥
कहा न सिचू मैया बेला ओ चमेली, कहा न सिचू अनार हो ॥ मैया मेरी ॥
दूध न सिचू मैया बेला ओ चमेली, दहियान सिचू अनार हो ॥ मैया मेरी ॥
……………………………………………………………………………………………

(27)
मैया राजा जगत रे, सेवा करे हो माँ ॥

मैया राजा जगत रे, सेवा करे हो माँ ॥
किनने लगाए आम निबुया नीम महुआ गुलदाख,
चम्पा चमेली काली मोगरा, नारियल के झाड ॥ राजा जगत रे ॥
पाँच पेड़ नीबूआ रे, बैंगन के झाड,
किने सागर खुदाए, किने पिवे जलपान ॥ राजा जगत रे ॥
राजा लगाए आम नीम महूआ गुलदाख,
चम्पा हमेली काली मोगरा नारियल के झाड ॥ राजा जगत रे ॥
पाँच पेड़ नीबूआ रे, बैंगन के झाड,
राजा सागर खुदाए गौआ पिवे जलपान ॥ राजा जगत रे ॥
चुगली करी चुगलने रे,राजा दरबार,
उप दारे आम महूआ नीम और गुलदाख ॥ राजा जगत रे ॥
अधूरा है

…………………….………………………………………………………………….

(28)
माई अलख जगाऊँ तोरे द्वार पे हो माँ ॥

माई अलख जगाऊँ तोरे द्वार पे हो माँ ॥
रूप अनेकों तोरे माता, तुम ही सबकी भाग्य विधाता,
सारा जग तोरे गुण गाता,कोई कहे टोहे माँ जगदंबा,
कोई कहे अम्बे माता, माई फूल चढ़ाऊ तोरे द्वार पे हो माँ ॥ माई अलख॥
माता शारदा मेहरावाली, वो काली कल्कत्ते वाली,
केला माई करौली वाली, दुखियों का दुख हरने वाली ,
मैया शेरावाली माई, शीश झुकाऊँ तोरे द्वार पे हो माँ ॥ माई अलख ॥
वैष्णो देवी बहुत ही भोली, भरती सबकी खाली झोली,
द्वार खड़ी भक्तों की टोली, जय जैकार करत नभ गूँजे,
सारी दुनिया डोली, माई कैसे से आउ तोरे द्वार पे हो माँ ॥ माई अलख ॥
विंध्याचल की विंध्यवासिनी, हिंगलाज हिंगलाजनी ,
विनती सुनो मोरी हंसवाहिनी, आन विराजे कंठ मैया ,
देओ सुरीली वाणी, माई सद्गुण गाउँ तोरे द्वार पे हो माँ ॥ माई अलख ॥
………………………………………………………………………………………

(29)
मैया जग में धरी अवतार, भवानी माई जगदम्बे ॥

मैया जग में धरी अवतार, भवानी माई जगदम्बे ॥
शंकर के तेज से मुख बनो री माँ, विष्णु से बन गए हाथ ॥ भवानी ॥
पवन के तेज से कान , बनो री माँ, कुबेर से बन गई नाक ॥ भवानी ॥
अग्नि के तेज से नयन, बनो री माँ, प्रजापति से दात ॥ भवानी ॥
वरुण के तेज से पिंडली बनी री माँ , शनि से सिर के बाल ॥ भवानी ॥
ब्रम्हा के तेज से चरण बनो री माँ , रूप धरी है विकराल ॥ भवानी ॥
सुमर सुमर मैया तेरो जस गाये, नैया लगा दइयों पार ॥ भवानी ॥
………………………………………………………………………………..

(30)
जब शक्ति ने जन्म लियो री माँ, वहाँ अपना रे नहीं कोई माया ।

जब शक्ति ने जन्म लियो री माँ, वहाँ अपना रे नहीं कोई माया ।
जन्म माई जल थल के भीतर, एक कमाल को रे फूल माया ।।
वो ही फूल के बिचन मेरी माँ, शक्ति ने लाई अवतार माया ।
जब शक्ति ने हाथ मली हो माँ, तीन पफूला उठ आए माया ।।
पहले फफुला के फुटत मेरी माँ, ब्रम्हा ने लियो अवतार माया ।
ब्रम्हा को दे दाई मैया हंसा रे, सवारी ब्रामहा चलो रे ब्र्म्हलोक माया ।।
दूसरों फफुला के फुटत मेरी माँ, विष्णु ने ले लओ अवतार माया ।
विष्णु को दे ड़ाए मैया, गरुड सवारी देख रहो संसार माया ।।
तीसरे फफुला फुटत मेरी माँ, शंभू ने लियो अवतार माया ।
शंभू को दे दाई मैया डूँड़ा रे नांदिया, शंभू गओ रे कैलाश माया ।।
सुमर सुमर मैया तेरो जस गाये, रखियों चरण चितलाए माया ।।
……………………………………………………………………………

(31)
दिया जले अमावस रात, कालका जनम लियो ।।

दिया जले अमावस रात, कालका जनम लियो ।।
कौन मास जनम लाये माया, कौन मास अवतार ॥ कालका ।।
चैत मास जनम लई माया, ………. मास अवतार ॥ कालका ॥
कौना के भैरव भाए माया, कौना के हनुमान ॥ कालका ॥
काली के भैरव भाए माया, अंजनी के हनुमान ॥ कालका ॥
काहे को भैरव भए माया, काहे को हनुमान ॥ कालका ॥
उजवे को भैरव भए माया, लड़ने को हनुमान ॥ कालका ॥
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाये, रखियों चरण चितलाए ॥ कालका ॥
……………………………………………………………………………….

(32)
अंगना में बजत बधाई हो मैया मेरी पंडा दरस को आए ।।

अंगना में बजत बधाई हो मैया मेरी पंडा दरस को आए ।।
राम लखन मैया न्योता बुलाये, संग में सीता मैया आई हो ॥ मैया मेरी ॥
ब्रम्हा विष्णु मैया न्योते बुलाये, संग में लक्ष्मी भी आई हो ॥ मैया ॥
गंगा जमुना न्योते बुलाये, संग में सरसती आई हो ॥ मैया ॥
चंदा सूरज न्योते बुलाये, संग में तारे भी आए हो ॥ मैया ॥
शिवशंकर मैया न्योते बुलाये, संग में गौरा भी आई हो ॥ मैया ॥
पाँच पांडव मैया न्योते बुलाये , संग में द्रोपदी भी आई हो ॥ मैया ॥
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाये, चरण छोड़ कहाँ जाए हो ॥ मैया ॥
………………………………………………………………………….

(33)
नौ दिन की मेहमान , शारदा बैठी मठ में हो माँ ॥ शारदा ।।

नौ दिन की मेहमान , शारदा बैठी मठ में हो माँ ॥ शारदा ।।
कहाँ लगा दौ मैया हरिहर नींबुवा, कहाँ लगा दऊ अनार ॥ शारदा ॥
अंगना लगा दऊ हरिहर नींबुवा, बड के लगा दौ अनार ॥ शारदा ॥
काहे न सिचू मैया हरिहर निबुवा, काहे न सिचू अनार ॥ शारदा ॥
दूध न सिचू हरिहर नींबुवा, दहियन सिचू अनार ॥ शारदा ॥
उगन लागो मैया हरिहर नींबुवा, उगन लागो अनार ॥ शारदा ॥
फूलन लागो मैया हरिहर नींबुवा, फूलन लागो अनार ॥ शारदा ॥
ओलियन टोडु मैया हरिहर नींबुवा, अबलिन टोडु अनार ॥ शारदा ॥
…………………………………………………………………………………

(34)
मोहे दर्शन दो एक बार शारदा मैहर की ॥

मोहे दर्शन दो एक बार शारदा मैहर की ॥
अमुआ के पेड़ पे डारी है पालना , झूल रही है माई झूलन पालना ॥
रेशम लागि डोर शारदा मैहर की … ॥ मोहे ॥
झूल रही है बन कर ललना , लंगूरे झुलावे तोहे पालना ॥
भैरव खिचे डोर , शारदा मैहर की … ॥ मोहे ॥
छोटे छोटे से हाथ तुम्हारे, छोटे से है चरण तुम्हारे ॥
बाल रूप अवतार शारदा मैहर की … ॥ मोहे ॥
बीच अंगुलिये पहने मैया , धूल भरी अति शोभित मैया ॥
मोहे दर्शन दो एक बार , शारदा मैहर की … ॥ मोहे ॥
देवी देवता स्तुति गाये, भार्गव मैया तुम्हें मनाएँ ॥
चरणों पे बलिहार शारदा मैहर की … ॥ मोहे ॥
…………………………………………………………………………….

(35)
तीरे घूमे लाल निशान, शारदा मैहर की ।।

तीरे घूमे लाल निशान, शारदा मैहर की ।।
एक हाथ त्रिशूल विराजे, दूजे धनुष अरु बाण ॥ शारदा ॥
तीजे हाथ मैया खप्पर विराजे, चौथे लिए कृपाण ॥ शारदा ॥
पांचवे हाथ मैया शंख विराजे , छठे चक्र की शान ॥ शारदा ॥
सातवे हाथ मैया गदा विराजे, अष्ट समय वरदान ॥ शारदा ॥
भार्गव मैया आज मनाए, है बालक नादान ॥ शारदा ॥
…………………………………………………………………………………

(36)
कृष्णा मोही रे, राधा ग्वालन जोगनिया ॥

कृष्णा मोही रे, राधा ग्वालन जोगनिया ॥
कौन की नागरी में जन्म लियो रे ,
वीरन मेरे कहाँ धरो रे, अवतार जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
मथुरा की नागरी में जन्म लियो रे,
वीरन मेरे गोकुल धरो रे, अवतार जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
कौन सी मैया ने जन्म दियो रे,
वीरन मेरे कौन मिलावट दूध जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
देवकी मैया ने जन्म दियो रे,
वीरन मेरे यशोदा मिलावत दूध जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
काहे के लाने जन्म लियो रे,
वीरन मेरे काहे के धरे रे अवतार जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
माता पिता को जन्म लियो रे,
कंस मरत अवतार जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
सुमर सुमर मैया तेरो जस गाउ रे,
रखियों चरण चितालय जोगनिया
मोही रे जोगनिया मोही रे ॥ कृष्णा मोही रे ॥
……………………………………………………………………………….

(37)
मैया भक्तन की हितकारिणी हो माँ ॥

मैया भक्तन की हितकारिणी हो माँ ॥
रक्तबीज मारो गयो हो, मारी सेन अपार ।
तब निशुंभ रण गरजो रे, हाथ लियो ॥ मैया भक्तन ॥
क्रोधित होय शंभासुर हो, मारी गदा घुमाय ।
पकड़ बीच में काली रे, मारो दैत्य को जाय ॥ मैया भक्तन ॥
धनुष चढ़ा देवी दुर्गा हो, मारी शत बाण,
वज्र चलायो इंद्राणी रे, गिरो तब बलवान ॥ मैया भक्तन ॥
उठो तुरंत बलशाली हो, काली लेई तलवार ।
शीश काट दानव को रे, दियो धरनी पे डार ॥ मैया भक्तन ॥
डोले देवी रण भीतर हो, करें दैत्य विनाश ।
चामुंडा महाकाली रे, रण में रही नाच ॥ मैया भक्तन ॥
चक्र चलाओ लक्षमी ने हो, मारे वज्र इंद्राणी ।
त्रिशूल से सारे पार्वती रे, जल से ब्रांहाणी ॥ मैया भक्तन ॥
कहे शुंभ देवी से हो, क्यों करती घमंड ।
रक्षक है तेरी देवी रे, नहीं करता खंड खंड ॥ मैया भक्तन ॥
सुनत हंसी जगतारण हो, सुन शुंभ नादान ।
ये सब मेरी काया रे, सब भाई अंतर्ध्यान ॥ मैया भक्तन ॥
शुंभ और दुर्गा का हो, भयो युद्ध अपार ।
अस्त्र शस्त्र बहू चलते रे, चले बहू हथियार ॥ मैया भक्तन ॥
गगन मण्डल मे आए हो, सुर चढ़े विमान ।
देख रहे रण कौतुक रे, शीत विधि भगवान ॥ मैया भक्तन ॥
………………………………………………………………………..

(38)
मैया कोयल तरसत, आम पे हो माँ ॥

मैया कोयल तरसत, आम पे हो माँ ॥
कहाँ लगा दऊ आम इमली रे, बाद पीपल पान ।
कहाँ लगा दऊ काली जामुन, नदी जमुना के तीर ॥ कोयल तरसत ॥
अंगना लगा दऊ आम इमली बाड़ पीपल पान ।
बड के लगा दऊ काली जामुन, नदी जमुना के तीर ॥ कोयल तरसत ॥
काहे न सिचू आम इमली रे, बड़ पीपल पान ।
काहे न सिचू काली जामुन, नदी जमुना के तीर ॥ कोयल तरसत ॥
दूध न सिचू आम इमली रे, बड़ पीपल पान ।
दहियन सिचू काली जामुन, नदी जमुना के तीर ॥ कोयल तरसत ॥
उगन लागो आम इमली रे, बड़ पीपल पान ।
फूलन लागो काली जामुन, नदी जमुना के तीर ॥ कोयल तरसत ॥
कहे न तोडू आम इमली रे, बड़ पीपल पान ।
काहे न तोडु काली जामुन, नदी जमुना के तीर ॥ कोयल तरसत ॥
……………………………………………………………………………

(39)
धन्य भाग्य खमराताल के हो माँ ॥

धन्य भाग्य खमराताल के हो माँ ॥
कहाँ से आ गए देवी देवता रे,कहाँ ए शैतान ,
कहाँ से आ गई चुडेलन ॥ मैया धन्य भाग्य ॥
मढ़िया से आ गए देवी देवता रे , पीपल शैतान,
इमली से आ गई चुडेलन ॥ मैया धन्य भाग्य ॥
कहा जो मांगे देवी देवता रे, कहा जो शैतान,
कहा जो मांगे चुडेलन ॥ मैया धन्य भाग्य ॥
नारियल मांगे देवी देवता रे, बकरारे शैतान,
नींबुवा जो मांगे चुडेलन ॥ मैया धन्य भाग्य ॥
तू मेरी आदि भवानी रे, रखियों रे मेरी लाज ,
बेगीराम जस गा लऊ , मैया तेरे दरबार ॥ मैया धनी भाग्य ॥
…………………………………………………………………………….

(40)
मेरी काली मैया, मेरी दुर्गा मैया, चली आ जइयो जोगन बनके ॥

मेरी काली मैया, मेरी दुर्गा मैया, चली आ जइयो जोगन बनके ॥
कुम्हरा की गलिया ओ मैया, लगो रे बाजार ,
देखत खप्पर मन मुसकाय ॥ मेरी काली मैया ॥
ले रही खप्पर मैया, दे रही दाम,
अरे सवा रुपया पूरन दाम ॥ मेरी काली मैया ॥
लोहरा की गलिया ओ, मैया लगा रे बजार ,
देखत त्रिशूल मन मुसकाय ॥ मेरी काली मैया ॥
ले रही त्रिशूल मैया दे रही दाम ,
अरे सवा रुपया पूरन दाम ॥ मेरी काली मैया ॥
दर्जी की गलिया मैया लगा रे बजार ,
देखत झबला मैया मन मुसकाय ॥ मेरी काली मैया ॥
ले रही झबला मैया दे रही दाम,
अरे सवा रुपया मैया पूरन दाम ॥ मेरी काली मैया ॥
सुमर सुमर मैया तेरो जस गाय ,
रखियों चरण बेगी चितलाए ॥ मेरी काली मैया ॥
…………………………………………………………………………..

(41)
मैया भोलेनाथ मनाइगे हो माँ ॥

मैया भोलेनाथ मनाइगे हो माँ ॥
श्री गिरजापति स्वामी रे, जटा बहे गंगाधार ।
बाएँ अंग छबि सोहे, बैठी गिरजा वो नार ॥ भोलेनाथ ॥
सागर मंथन किनारे, निकली है विष ज्वाल ।
विष की ज्वाला पीके , बाबा हो गए निरंकार ॥ भोलेनाथ ॥
आय जलधर मारे रे, गुण गाये संसार ।
करी तपस्या भागीरथ ने, चढ़ा दियो गंगा धार ॥ भोलेनाथ ॥
भोला बड़ो वरदानी रे, डाइयो ऐसों वरदान ।
सूरदास की विनती, सुन लाइयों महाराज ॥ भोलेनाथ ॥
………………………………………………………………………………….

(42)
ऐसी रंगाओ रंग चुनरी हो माँ ॥

ऐसी रंगाओ रंग चुनरी हो माँ ॥
कोर कोर पे कृष्णा रे, रहे मुरली बजाय ।
सब सखोयों में संग रहे रास रचे ॥ ऐसी ॥
क्षीर समुद्र के वासी रे, विष्णु भगवान ।
लक्ष्मी चरण दबाये, शेष कर रहे छाय ॥ ऐसी ॥
गंगा जमुना लिख दो रे, कावेरी धाम ।
माता नर्मदा लिख दो रे, और चारई धाम ॥ ऐसी ।।
नर नारायण लिख दो रे, श्रष्टि करतार ।
महिमा जिनकी न्यारि जाने संसार ॥ ऐसी ॥
रामेश्वर जी लिख दो, बद्रीश्वर धाम ।
काशी बनारस लिख दो रे, मथुरा कैलाश ॥ ऐसी ॥
बीच में लिख दो दुर्गा रे, भई सिंह सवार ।
जगतारण माँ आइर ले नौ अवतार ॥ ऐसी ॥
लज्जा राख़ भवानी रे, तेरे गुण गाय ।
सबकी लज्जा रखना संत कहे पुकार ॥ ऐसी ॥

…………………………………………………………………………

(43)
झूले भवानी अंगना, झूला झूले हो माँ ॥

झूले भवानी अंगना, झूला झूले हो माँ ॥
कर रही सोलह सिंगार भवानी, झूला झूल रही महारानी ।
कजरी बन के अंगना ॥ झूला झूले भवानी ॥
रिमझिम रिमझिम सावन बरसे , मन ही मन मैयाजी हरषे ।
बैठ के चन्दन पलना ॥ झूला झूले ॥
झुलत झुलत मगन हो गई , जगदंबा माँ ध्यान में खो गई ।
मात रही कछु सुघना ॥ झूला झूले ॥
फर फर माँ की उड़त है चूनर, पायल के बाजात है घूँघर ॥ झूला झूले ॥
मात झूले लंगूरे झुलावे, परदेशी को माँ ना भुलाना ॥ झूला झूले ॥
………………………………………………………………………………………..

(44)
राजा दशरथ के चार पुत्र हैं चारों कुवर कराई माँ ॥

राजा दशरथ के चार पुत्र हैं चारों कुवर कराई माँ ॥
राम लक्षमन, भारत शत्रुघन उनमें राम स्वाइ माँ ।
चार रतन को खेल बनाए , खेलन गेंद बताए माँ ॥ मैया ॥
सरयू के तीर अयोध्या नागरी आपण हाथ बनाए माँ ।
कल्प वृक्ष तरे रत्न सिंहासन जहां बैठे रघुराई माँ ॥ मैया ॥
तोरण तोरण मुनि जी की आसान बैठे ध्यान लगाए माँ ।
तीन लोक की सफल संपदा अवधपुरी अब आई माँ ॥ मैया ॥
शिव सनकादि आदि ब्रम्हा शेष साहस मुख गाये माँ ।
मातु कौशल्या करें आरती आनंद बहुत बढ़ाए माँ ॥ मैया ॥
तुलसीदास अब धन्य कौशल्या बड़े भाग सूट पाये माँ ।
सुमर सुमर मैया तेरे जस गावे रखियों चरण चितलाए माँ ॥ मैया ॥
…………………………………………………………………………..

(45)
कितनी घर में जब बोये माया, मोर आए कितनी घर ॥ माँ ॥

कितनी घर में जब बोये माया, मोर आए कितनी घर ॥ माँ ॥
सई साँझ में जब बोये माया, जब आए मोर आधी रात ॥ माँ ॥
होत भुनसारे चुन लाये माया, लाये धरे खलिहान ॥ माँ ॥
काहे न कारे की भेंट करो माया, काह करो खलिहान ॥ माँ ॥
चंदा सूरज भेंट करो माया, समुद्र करो खलीशान ॥ माँ ॥
कहा फांद वर्धा करो माया, को है हाकन हार ॥ माँ ॥
सिंह फांद वर्धा करे माया, लंगूरे हाकन हार ॥ माँ ॥
गाह बीज उड़ा लाये माया, लेके भुवन धरी देय ॥ माँ ॥
आदि ज्योति निरकारी माया, ज्योति जारे दिन रात ॥ माँ ॥
देवी जालपा प्रसन्न हो गई, सुमर सुमर जस गाये ॥ माँ ॥
……………………………………………………………………………..

(46)
बैठी सगुन मनावत माता , कब ऐहे सियाराम माँ ॥

बैठी सगुन मनावत माता , कब ऐहे सियाराम माँ ॥
चैतमास में जन्मेराम जी खुशी भयो परिवार माँ ॥
कैकई बैरिन ने बन दीन्हा लागत मास बैसाख माँ ॥
सुख सुहाग लूटो जेठ माह में भयो नृपति संस्कार माँ ॥
भरत साथ गए चित्रकूट में laagat मास असाढ़ माँ ॥
सावन समझावे राहुपति को कर भगत विलाप माँ ॥
जनकराज आए भादों में गुड़ी सभा बनमाही माँ ॥
क्वार पादुका दियो भारत को लौटाओ सब लोग माँ ॥
कार्तिक मास खबर यह पायो हरी सिया लंका नाथ माँ ॥
अगहन राम लखन सिया ढूँढे कपि पति से मिले जाय माँ ॥
पुस मास गढ़ लंक जलाओ सिया सुधि लायो हनुमान माँ ॥
माह चढ़ाई कियो लंका पे भयो कठिन संग्राम माँ ॥
रावण कुंभकरण संहारे बोलो फागुन मास माँ ॥
तब से खबर मिली कोई नाहीं कब ऐहे मेरे लाल माँ ॥
ऐहि विधि बिलखे माता कौशल्या कर रहो महल विलाप माँ ॥
तोलो आए भारतलाल जी समझाओ बड़ी मातु माँ ॥
राम लखन सिया आए अवध में माता होहु तैयार माँ ॥
खबर होत हर्षे सब रानी साजो आरती थार माँ ॥
करें आरती आरत हरकी मन में मोद अपार माँ ॥
राजतिलक भयो सियाराम का छाई खुशी संसार माँ ॥
रमाशंकर जस गावे खुशिमन सुमर सिया रघुनाथ माँ ॥
……………………………………………………………………………..

(47)
मैया नंदनंदन बृज लाडले हो माँ ॥

मैया नंदनंदन बृज लाडले हो माँ ॥
हमही छोड़ मथुरा गए हो , सुधि दियो भुलाय ।
प्रथम महिना असाढ़ में रे, दियो उद्धव पथाय ॥ मैया ॥
कब से ज्ञानी हो गए हो , सब गोपिन नाथ ।
सावन झूले हिंडोला रे, कुबरी के साथ ॥ मैया ॥
भादों एन पैदा भाए हो, यशुमाती घर आए ।
अब बनी माता देवकी रे, उन्हे शरम न आए ॥ मैया ॥
घर घर चोरी क्वार में हो, करत रहे श्याम ।
दूध दहि माखन खा रे, बन गए बलधाम ॥ मैया ॥
छे महिना तक नाचो हो, गोपिन के साथ ।
भूल गए कार्तिक को रे, कपटी बृजनाथ ॥ मैया ॥
अगहन गोपकुमारी हो, करे प्रातः स्नान ॥
चोर चुरकार भागे रे, तब कहा हतो ज्ञान ॥ मैया ॥
सिद्ध होय एक बोली हो, करो पुस की याद ।
नंगी कियो गोपिन को रे, ताज कर मर्याद ॥ मैया ॥
माघ महिना पावन हो, सुनो उद्धव सुजान ।
निर्जल कपटी मोहन रे, तिनहे देवो जाके ज्ञान ॥ मैया ॥
फागुन होली हम संग हो, खेले नंदलाल ।
अब खेले कुब्जा संग रे, गले बहिया डाल ॥ मैया ॥
चैत में आवन कह गए हो, बृज बल्लभ प्राण ।
नौ दुर्गा भी बीत गई रे, नहीं आए घनश्याम ॥ मैया ॥
नन्द यशोमती छोड़ो हो, भाए इतने कठोर ।
बैसाख मास एनआईटी तड़पे रे, हो प्रेम विभोर ॥ मैया ॥
जेठ मास तपे सूरज हो, सुखी यमुना की धार ।
कदम वृक्ष पतझड़ भयो रे, बिना कृषक मुरार ॥ मैया ॥
समझायों उद्धव ने हो, गोपी मानत नाथ ।
कृष्ण की बारहमासी रे, रमाशंकर रहे गाये ॥ मैया ॥
…………………………………………………………………………

(48)
आश चरण की लाग रही हो माँ , मैया आश ……. ॥

आश चरण की लाग रही हो माँ , मैया आश ……. ॥
माई शारदा मैहर रे, नित धरू तेरे ध्यान ।
कुंडलपुर की अंबिका, सदा करो कल्याण ॥ मैया आश ॥
कलकत्ते की काली काली रे, सब जोगन साथ ।
विंधायवासिनी मैया चरणन धरू माठ ॥ मैया आश ॥
माई भवानी दुर्गा रे, ज्वालामुखी माय ।
खेड़पती जालपा , हांफे रहो रे सहाय ॥ मैया आश ॥
माई सरस्वती ताप्ती रे, बुद्धि दो भरपूर ।
अन्नपूर्णा मैया, दुख करो सब दूर ॥ मैया आश ॥
सती सोच मन हर्षि रे, तुमसा नहींकोय ।
चरणन आस तुम्हारी, कैसी रही तुम सोच ॥ मैया आश ॥
तू मेरी आदि भवानी ने राखो मेरी लाज ।
सुमर सुमर जस गाये, मैया तेरे दरबार ॥ मैया आश ॥
……………………………………………………………………….

(49)
ले ले खप्पर काली नाच रही हो माँ ॥

ले ले खप्पर काली नाच रही हो माँ ॥
अरे चार भुजावाली काली रे, खप्पर ले लई हाथ ।
माथे पे टीका लगा लई , रन हो गई असवार ॥ ले ले खप्पर ॥
काहे को तेरो खप्पर रे, काहों भर लई मांग ।
काहे को टीका लगा लई, रन में हो गई असवार ॥ ले ले खप्पर ॥
नारियल को तेरो खप्पर रे, सिंदूर भर लई मांग ।
खून को टीका लगा लई , रन में हो गई असवार ॥ ले ले खप्पर ॥
एक हाथ लई खप्पर रे, दूजे धर लई शीश ।
तीजे मे खड़ग विराजे चौथे धरे त्रिशूल ॥ ले ले खप्पर ॥
तेरे चरण बलिहारी रे मेरी दुर्गा हो माय ।
चरण छोड कहाँ जाऊँ रख लईयो मेरी लाज ॥ ले ले खप्पर ॥
…………………………………………………………………………………………….

(50)
हाथ न गड़ुवा कांधे धोती, दुर्गा चली असनान माया ॥

हाथ न गड़ुवा कांधे धोती, दुर्गा चली असनान माया ॥
एक वन डारी मैया, दूजे वैन डारी, तीजे समुंदर जाय माया ॥
चीर उतारी मैया रेट मेन धर दई, बैठी समुंदर नहान माया ॥
समुद्र की लहर मैया अपार भाई वो माँ , ले गई चीर बहाये माया ॥
थाडी विचारे मैया आदि भवानी, काहों पहर घर जाये माया ॥
शेषनाग की कचरी मैया, वोही पहर घर जाये माया ॥
ला छुरी पहन के चली आई माया, पहुंची है बढ़इ दुकान माया ॥
आवत देखो मैया बढ़इ को लड़का, आसान दियो सरकाय माया ॥
चन्दन चौकी मैया बैठक दीनही, दूधन पखारे है पाव माया ॥
हंस हंस पूछे मैया बढ़इ को लड़का, काहों घडावन आए माया ॥
एक मथनिया बढ़इ बना दे , सागर मंथन जाये माया ॥
बनी बनाई ले चली माया, समुद्र मथनिया बनाए माया ॥
डार मथनिया भावन लागि, कच्छ मच्छ उतराय माया ॥
हाथ जोड़के बोले समुंदर, ले लो चीर घर जाय माया ॥
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाउँ , रहे चरण के अधार माया ॥
……………………………………………………………………

(51)
दुर्गा लाल पलंग सो रही हो माँ ॥

दुर्गा लाल पलंग सो रही हो माँ ॥
काहे को तेरो पलंग बनो री माँ, काहेन को बुनाव ।
को बनाओ कुसुम रंग चादर दुर्गा करे विश्राम ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
चन्दन को तेरो पलंग बनो, रेशम को बुनाव ।
हरे कुसुम रंग चादर, दुर्गा करे विश्राम ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
कौन राजन की बेटी रे, कौन की नार ।
कौन की आज्ञा पाई, अंबिका माई ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
राजा हिमाचल बेटी रे, शंकर की नार ।
विष्णु की आज्ञा पाई अंबिका माई ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
को दुर्गा खे चढ़ाये रे, कौन मांगे वरदान ।
कौन ने सेवा किनही ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
नौ लाख हार चढ़ाये रे, राजा परमल ।
आल्हा ने सेवा किनही, धानू मांगे वरदान ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
तू मेरी आदि भवानी रे, जगतारण माय ।
बेगीरम जस गाये माई तेरे दरबार ॥ दुर्गा लाल पलंग ॥
……………………………………………………………………..

(52)
कहा से लाई ऐसी माटी रे मेरे बारे कुमहरवा ॥

कहा से लाई ऐसी माटी रे मेरे बारे कुमहरवा ॥
हाथ कुदरिया मुंड छबलिया , रतन खदनीय को जाये हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
एक कुदरिया मारो बारो रे कुमरा, निकरत हाती पीरी माती हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
दूसरी कुदरिया मारो बारो रे कुमरा, निकरत ध्वजा फुलेल हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
तीसरी कुदरिया मारो बारो रे कुमरा, निकरत खड़ग त्रिशूल हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
चौथी कुदरिया मारो बारो कुमरा, निकरत पान सुपारी हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
पाँचवी कुदरिया मारो बारो कुमरा , निकरत आदि भवानी हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
फेक कुदरिया फेक झपालिया, कुमरा भागो जाय हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
उकयो मांगे बारे कुमरा , सेवा कराऊ दिन रात हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
सुमर सुमर मैया तेरे जस गाउँ, रखियों चरण के अधार हो कंकालन माँ ॥ जगतारण माँ ॥
…………………………………………………………………………………………………

  1. गणेश वंदना जस लीरिक्स Ganesh Vandana Jay Lyrics
  2. देवी जस गीत लीरिक्स Devi Jas Geet Lyrics Part 1
  3. देवी जस गीत लीरिक्स Devi Jas Geet Lyrics Part 2

Devi Jas Geet Lyrics Part 2

(1) दिन चार के हो गौरा रानी मायके जइयो ।(2) सुंदर मालन मेरी माँ, आरती की बिरिया होने लगी माँ ॥
(3) अंगना में बजत बधाई हो मैया मेरी पण्डा दरश को आए ।।(4) घुँघरू बांध लई माई ने, घुंगरू बांध लई रे, माई ने कर लई सोलह रे सिंगार ॥
(5) ले पुजा हो देवी चंडिका हो माँ ॥(6) मैया बेगी सुमरु देवी, जालपा हो माँ ॥
(7) संकट हरण देवी शारदा हो माँ ॥(8) तेरे शरण हम आए सिंह वाहिनी हो माँ ॥
(9) माई के द्वारे एक नीरिया रोवे, अंसुवन सीजे गुलजारी माया॥(10) गंगा जमुना की बारी रेत में, दुर्गा ने कोट उठाई माया ॥
(11) सिर पर हीरा सोहे री जगदम्बे भवानी, कानों में झुमकी झूल रही हो माँ ॥(12) भजो रे मन तुलसी सीता राम कहो मेरी माँ ॥
(13) राजा जनक के द्वार में हो माँ ॥(14) माई हृदय बसो हिंगलाजनी हो माँ ॥
(15) मैया तोहे मनाऊँ सिंह वाहनी हो माँ ॥(16) माई जुग जुग झूले जग तारणी हो माँ ॥
(17) ऐसी रंगाओ रंग चुनरी हो माई ॥(18) माई रक्षा करो विध्यवासिनी हो माँ ॥
(19) मैया जय देवी हंसवाहनि हो माँ ॥(20) सब देव मनाए देवी जालपा हो माँ ॥
(21) मैया सबसे बड़ी रे देवी शारदा हो माँ ॥(22) मैया प्रकट भाई जगतारणी हो माँ ॥
(23) मैया वीणा बजावे देवी शारदा हो माँ ॥(24) बिंदिया जो गिर गई जमुना पार में हो माँ ॥
(25) भोलेनाथ मनाइगे हो माँ ॥(26) पिवे जहर का प्याला हो मैया मेरी डाले गले में नागकाला ॥
(27) मैया राजा जगत रे, सेवा करे हो माँ ॥(28) माई अलख जगाऊँ तोरे द्वार पे हो माँ ॥
(29) मैया जग में धरी अवतार, भवानी माई जगदम्बे ॥(30) जब शक्ति ने जन्म लियो री माँ, वहाँ अपना रे नहीं कोई माया ।
(31) दिया जले अमावस रात, कालका जनम लियो ।।(32) अंगना में बजत बधाई हो मैया मेरी पंडा दरस को आए ।।
(33) नौ दिन की मेहमान , शारदा बैठी मठ में हो माँ ॥ शारदा ।।(34) मोहे दर्शन दो एक बार शारदा मैहर की ॥
(35) तीरे घूमे लाल निशान, शारदा मैहर की ।।(36) कृष्णा मोही रे, राधा ग्वालन जोगनिया ॥
(37) मैया भक्तन की हितकारिणी हो माँ ॥(38) मैया कोयल तरसत, आम पे हो माँ ॥
(39) धन्य भाग्य खमराताल के हो माँ ॥(40) मेरी काली मैया, मेरी दुर्गा मैया, चली आ जइयो जोगन बनके ॥
(41) मैया भोलेनाथ मनाइगे हो माँ ॥(42) ऐसी रंगाओ रंग चुनरी हो माँ ॥
(43) झूले भवानी अंगना, झूला झूले हो माँ ॥(44) राजा दशरथ के चार पुत्र हैं चारों कुवर कराई माँ ॥
(45) कितनी घर में जब बोये माया, मोर आए कितनी घर ॥ माँ ॥(46) बैठी सगुन मनावत माता , कब ऐहे सियाराम माँ ॥
(47) मैया नंदनंदन बृज लाडले हो माँ ॥(48) आश चरण की लाग रही हो माँ , मैया आश ……. ॥
(49) ले ले खप्पर काली नाच रही हो माँ ॥(50) हाथ न गड़ुवा कांधे धोती, दुर्गा चली असनान माया ॥
(51) दुर्गा लाल पलंग सो रही हो माँ ॥(52) कहा से लाई ऐसी माटी रे मेरे बारे कुमहरवा ॥



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *