देवी जस लीरिक्स इन हिन्दी : Devi Jas lyrics in Hindi

Devi Jas Geet Lyrics

Jas lyrics in hindi देवी दुर्गा की महिमा का गान करते हैं, जो नवरात्रि उत्सव के दौरान समूह में गाए जाते हैं। Jas lyrics in hindi भक्ति, श्रद्धा और उत्साह को समर्पित होते हैं और इन्हें गाकर भक्त देवी की महिमा का गुणगान करते हैं। ये Jas lyrics in hindi वाद्ययंत्रों के साथ संगीत की धुन में मिलकर भक्तों को आनंदित करते हैं और उन्हें आत्मिक शांति का अनुभव कराते हैं। Jas lyrics in hindi साधारणतः हिंदी में होते हैं और स्थानीय भाषा और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। Jas lyrics in hindi का पाठ अक्सर नवरात्रि उत्सव और अन्य धार्मिक अवसरों में किया जाता है, जिससे भक्ति और आनंद का माहौल बनता है।

Table of Contents

Jas lyrics in Hindi की महिमा

Jas lyrics in Hindi देवी देवताओं और अन्य अवतारों के लिए गाए जाने वाले भजनों और जगराता के लिए उपयोग में लाया जाता है। Jas lyrics in Hindi आमतौर पर नवरात्रि के उत्सव के दौरान गाए जाते हैं और उन्हें समूह में गाया जाता है। जस गीतों के बोल देवी दुर्गा, लक्ष्मी माता, सरस्वती माता, हनुमान जी, शिव और पार्वती, राधा और कृष्ण, सीता और राम, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, और अन्य देवी-देवताओं के रूप की महिमा का गान करते हैं। इन Jas lyrics in Hindi भक्ति, श्रद्धा और उत्साह को समर्पित होते हैं और भक्तों को भगवान की उपासना करने के लिए प्रेरित करते हैं। ये Jas lyrics in Hindi साधारणतः हिंदी में होते हैं और स्थानीय भाषा और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन गानों का पाठ धार्मिक आयोजनों और उत्सवों में किया जाता है, जिससे भक्ति और आनंद का माहौल बनता है।

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Devi Jas Lyrics in Hindi देवी जस क्या हैं

“जस” (Devi Jas) गीत, विशेष रूप से मध्यप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में, देवी दुर्गा की भक्ति और श्रद्धा में गाए जाने वाले पारंपरिक भजन और जागरण गीत होते हैं। नवरात्रि के दौरान, इन गीतों (Devi Jas)को समूह में गाकर भक्त देवी की महिमा का गुणगान करते हैं। जस गीतों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, लीलाओं और शक्तियों का वर्णन किया जाता है, जो भक्तों के दिलों में भक्ति और उत्साह का संचार करते हैं। ये (Devi Jas) गीत स्थानीय भाषा और संस्कृति में रचे गए होते हैं, जिससे इनकी धुन और बोल क्षेत्रीय लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रिय होते हैं। जस गीतों का प्रमुख उद्देश्य देवी दुर्गा की स्तुति करना और उनकी कृपा प्राप्त करना होता है। Jas lyrics in hindi का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, क्योंकि वे सामाजिक और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान, गाँव और कस्बों में विशेष रूप से रात के समय जस गीत (Jas Geet )गाने की परंपरा है, जो पूरी रात जागरण का हिस्सा होती है। इस प्रकार, Devi Jas नवरात्रि उत्सव को भक्ति और आनंद के माहौल में डूबा देते हैं, जिससे सभी भक्त एकत्रित होकर देवी दुर्गा की उपासना करते हैं।

Devi Jas lyrics in Hindi
Devi Jas lyrics in Hindi

Devi Jas किसके लिए होते हैं

जस गीत न केवल देवी दुर्गा के लिए, बल्कि अन्य देवी-देवताओं और ऐतिहासिक पात्रों के लिए भी गाए जाते हैं। महाकौशल क्षेत्र में, जस गीतों की यह परंपरा विशेष रूप से समृद्ध है और विभिन्न धार्मिक और पौराणिक कथाओं पर आधारित होती है। इन गीतों में शिव और पार्वती, राधा और कृष्ण, सीता और राम, पांडव और कौरव, अल्हा और उदल, और मैहर शारदा जैसी देवी-देवताओं और वीरों की गाथाओं का गुणगान किया जाता है। जस गीतों के माध्यम से इन पात्रों की महिमा, वीरता और प्रेम की कहानियों को संगीत और गीत के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। शिव और पार्वती के जस गीत उनकी दिव्य लीलाओं और उनके अद्भुत रिश्ते का वर्णन करते हैं, जबकि राधा और कृष्ण के जस गीतों में उनके प्रेम की मिठास और उनकी लीलाओं का चित्रण होता है। सीता और राम के जस गीतों में उनके आदर्श जीवन और त्याग की कहानियां सुनाई जाती हैं। पांडव और कौरव के जस गीत महाभारत की गाथाओं और उनके संघर्षों को जीवंत करते हैं। अल्हा और उदल के जस गीत वीरता और साहस की कहानियां सुनाते हैं। इस प्रकार, जस गीत विभिन्न देवी-देवताओं और वीरों की महिमा का गान करते हैं और भक्तों को भक्ति और प्रेरणा से भर देते हैं।

देवी जस गीत Singing Instruments

देवी जस गीतों के गायन में विशेष रूप से कुछ पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है, जिनमें ढोलक, मंजीरा, झांझ और एक विशेष वाद्य यंत्र ‘डाहक ‘ शामिल हैं। डाहक एक अनोखा वाद्ययंत्र है जो आकार में डमरू जैसा होता है, लेकिन इसे एक तरफ से एक छड़ी द्वारा ऊपर और नीचे के twisting pressure के साथ बजाया जाता है। ये वाद्ययंत्र देवी जस गीत के संगीत में एक विशेष ध्वनि और ताल जोड़ते हैं जो गीतों को और अधिक जीवंत और उत्साहपूर्ण बनाते हैं। ढोलक की गूंजती ध्वनि, मंजीरा और झांझ की झंकार और डाहक की अनोखी ध्वनि मिलकर एक ऐसा संगीत उत्पन्न करती हैं जो भक्तों को भक्ति और आनंद में डूबा देती है। इन वाद्ययंत्रों का सामूहिक उपयोग जस गीतों की धुन और लय को सजीव बना देता है जिससे नवरात्रि और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में एक विशेष माहौल बनता है। जस गीतों के माध्यम से देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करने के साथ-साथ ये वाद्ययंत्र लोक संस्कृति और परंपरा का भी अभिन्न हिस्सा हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं।

Devi Jas Festival

हिंदू धर्म में नवरात्रि एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे साल में चार बार मनाया जाता है। ये चार नवरात्रियाँ हैं:

  1. चैत्र नवरात्रि: यह नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है और इसे वासंती नवरात्रि भी कहा जाता है। यह मार्च-अप्रैल के महीने में मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के दिन होता है, जो भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
  2. आश्विन (शारदीय) नवरात्रि: यह नवरात्रि शरद ऋतु में आती है और इसे सबसे प्रमुख नवरात्रि माना जाता है। यह सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाई जाती है। दशहरा या विजयदशमी इसके समापन का दिन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
  3. माघ गुप्त नवरात्रि: यह नवरात्रि माघ महीने में आती है, जो जनवरी-फरवरी के दौरान होती है। इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इसमें गुप्त साधनाओं और तांत्रिक क्रियाओं का विशेष महत्व होता है।
  4. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: यह नवरात्रि आषाढ़ महीने में आती है, जो जून-जुलाई के दौरान होती है। माघ गुप्त नवरात्रि की तरह, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी तांत्रिक साधनाओं और गुप्त पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

इन चार नवरात्रियों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। हर नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इसे शक्ति की उपासना का पर्व माना जाता है। भक्त लोग व्रत रखते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का आवाहन करते हैं। नवरात्रि के दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान और उपासना भक्तों को शक्ति, सुख, समृद्धि और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं।

Devi Jas प्रमुख नवरात्रि

नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है। ये नौ अवतार हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। प्रत्येक अवतार का अपना महत्व और कहानी है। आइए इन नौ अवतारों के बारे में विस्तार से जानें:

  1. शैलपुत्री: शैलपुत्री का अर्थ है पर्वत की पुत्री। वे हिमालय पर्वत की पुत्री हैं और इनका वाहन वृषभ है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है। शैलपुत्री का पूजन पहले दिन किया जाता है।
  2. ब्रह्मचारिणी: ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके हाथ में कमंडल और जपमाला होती है। दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है।
  3. चंद्रघंटा: चंद्रघंटा का तीसरा रूप शक्ति और वीरता का प्रतीक है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र का घंटे की तरह स्वरूप होता है। इनका वाहन सिंह है और ये तीन नेत्र धारण करती हैं। तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है।
  4. कूष्मांडा: कूष्मांडा देवी का चौथा रूप है, जिन्हें ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली कहा जाता है। वे आठ भुजाओं वाली हैं और उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र और कमल का फूल होता है। इनकी पूजा चौथे दिन की जाती है।
  5. स्कंदमाता: स्कंदमाता का पांचवा रूप माता पार्वती के रूप में है, जो कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। वे सिंह पर सवार होती हैं और चार भुजाओं वाली होती हैं। पांचवें दिन इनकी पूजा की जाती है।
  6. कात्यायनी: कात्यायनी देवी का छठा रूप है। वे ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में प्रकट हुईं। ये सिंह पर सवार होती हैं और चार भुजाओं वाली होती हैं। छठे दिन इनकी पूजा होती है।
  7. कालरात्रि: कालरात्रि देवी का सातवां रूप है। वे अत्यंत भयानक और शक्तिशाली रूप में प्रकट होती हैं। इनका रंग काला होता है और इनके तीन नेत्र होते हैं। कालरात्रि की पूजा सातवें दिन की जाती है।
  8. महागौरी: महागौरी देवी का आठवां रूप है। इनका रंग अत्यंत गोरा है, जैसे सफेद चांदनी। वे शांति और करूणा की देवी मानी जाती हैं। आठवें दिन इनकी पूजा की जाती है।
  9. सिद्धिदात्री: सिद्धिदात्री देवी का नौवां और अंतिम रूप है। वे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इनका वाहन सिंह है और वे कमल पर विराजमान होती हैं। नौवें दिन इनकी पूजा की जाती है।

नवरात्रि के ये नौ दिन देवी दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होते हैं, जो भक्तों को शक्ति, साहस, और समृद्धि प्रदान करते हैं।

भक्ति के विभिन्न गीत संगीत

देवी दुर्गा की भक्ति के लिए अनेक प्रकार के गीत गाए जाते हैं। ये भक्ति गीत विभिन्न रूपों में होते हैं और भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं। निम्नलिखित प्रकार के देवी दुर्गा के भक्ति गीत हैं:

  1. भजन: भजन देवी दुर्गा की स्तुति में गाए जाने वाले धार्मिक गीत हैं। इनमें उनकी महिमा, शक्तियों और अद्भुत कार्यों का वर्णन किया जाता है।
  2. आरती: आरती विशेष पूजा के अंत में गाई जाती है, जिसमें दीपक जलाकर देवी की आराधना की जाती है।
  3. चालीसा: चालीसा चालीस चौपाइयों का संग्रह होता है जो देवी दुर्गा की महिमा का गुणगान करता है। दुर्गा चालीसा बहुत प्रसिद्ध है, जो भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
  4. स्तोत्र: स्तोत्र संस्कृत में रचित होते हैं और इनमें देवी दुर्गा की स्तुति की जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख स्तोत्र हैं:
    • दुर्गा सप्तशती (चंडी पाठ)
    • दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र
  5. कवच: कवच सुरक्षा और शांति के लिए गाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा से सुरक्षा की कामना की जाती है। दुर्गा कवच एक महत्वपूर्ण और प्रचलित कवच है।
  6. जागरण गीत: जागरण गीत देवी दुर्गा की पूरी रात की जागरण पूजा में गाए जाते हैं। इन गीतों में उनकी महिमा का गुणगान और भक्ति का संचार होता है।
  7. ग़ज़ल और सूफ़ी गीत: कुछ भक्ति गीत ग़ज़ल और सूफ़ी शैली में भी होते हैं, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा की कृपा और महिमा का वर्णन करते हैं।
  8. कीर्तन: कीर्तन भक्ति गीतों का एक अन्य रूप है जिसमें समूह में मिलकर देवी की आराधना की जाती है। कीर्तन में संगीत और नृत्य के माध्यम से भक्ति का प्रकटिकरण होता है।
  9. नवरात्रि स्पेशल गीत “जस” : नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से गाए जाने वाले गीत “जस” होते हैं जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होते हैं। ये “जस” गीत नवरात्रि के नौ दिनों के महत्व को दर्शाते हैं।

इन भक्ति गीतों के माध्यम से भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। ये गीत धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों का अभिन्न हिस्सा होते हैं और भक्तों के मन में भक्ति और श्रद्धा का संचार करते हैं।

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