अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के पूर्व ही इसकी प्रतिकृति इंदौर के विश्राम बाग में तैयार हो गई है । 21 टन लोहे के स्क्रैप से तैयार इस प्रतिरूप Ram Mandir Indore: An Innovation की ऊंचाई 27 फीट, चौड़ाई 26 फीट और लंबाई 40 फीट है । 20 मजदूरों ने लगभग ढाई माह की मेहनत से इसे तैयार किया है।
इस प्रतिरूप को तैयार करने में नगर निगम ने लोहे के पुराने खंबे, कबाड़ गाड़ियों के चेचिस, नट-बोल्ट, टूटे-फुटे झूले, फिसल पट्टियां, ग्रिल आदि का इस्तेमाल किया है । संभवतः देश में पहली बार लोहे के स्क्रैप से किसी मंदिर की इतनी विशाल और अद्भुत प्रतिकृति तैयार की गई है ।
तो इस तरह हुआ निर्माण
अयोध्या, हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में जाना जाता है, जहां प्रभु श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि उन्हें अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से प्रेरणा मिली है और इसी प्रेरणा से उन्होंने विश्राम बाग में मंदिर की प्रतिकृति को तैयार करने का निर्णय लिया।
मंदिर निर्माण की प्रेरणा
राम मंदिर से प्रेरित होकर, महापौर ने विश्राम बाग को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आधार पर मंदिर की प्रतिकृति से सजाने का मन बनाया। यह उनके लिए बड़ी चुनौती थी कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का काम अभी पूर्ण नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ संकल्प से इस कार्य का समर्थन किया।
मंदिर की प्रतिकृति का चयन
मंदिर की प्रतिकृति का चयन भी एक महत्वपूर्ण निर्णय था। लोहे के स्क्रैप से इतनी बड़ी प्रतिकृति बनाना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन कलाकारों ने इसमें अपनी कला और मेहनत से यह संभव कर दिया। इसमें वेल्डिंग वाले कारीगरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही, क्योंकि छोटे-बड़े और टूटे-फूटे लोहे के सामान को मंदिर का रूप देना आसान नहीं था।
इंदौर में नवाचार
महापौर ने बताया कि प्रतिकृति की फिनिशिंग का काम जल्द ही शुरू होगा। इंदौर, जो स्वच्छता और स्मार्ट शहरों में अपनी श्रेष्ठता के लिए जाना जाता है, ने एक नवाचार करते हुए अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की प्रतिकृति विश्राम बाग में बनवाई है। राम मंदिर के मॉडल के अनुरूप प्रतिकृति पूर्ण रूप से तैयार हो गई है, और इस पर रंग रोगन और बिजली फिटिंग का कार्य जारी है।
प्रतिकृति की फिनिशिंग
प्रतिकृति की फिनिशिंग का काम शीघ्र होने वाला है, जिससे यह नक्शा अपनी असली सौंदर्य को दिखा पाएगा। रंग रोगन और बिजली फिटिंग का कार्य भी उसकी पूर्णता में सहायक हो रहा है।
समापन
इस तरह, अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण करने का कार्य एक नए और सांस्कृतिक पहल को दर्शाता है। महापौर की दृढ़ संकल्प और कलाकारों की मेहनत ने इस कार्य को संभाला है, जिससे यह नक्शा न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में बल्कि एक कला और शिल्पकला के उदाहरण के रूप में भी अभिवाद्य होगा।
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