Ram Mandir ASI Report : खुदाई में मिले राम मंदिर के अवशेष

 Ram Mandir ASI Report प्राप्त होने के बाद ही अयोध्या में विशाल राम मंदिर बनाने के लिये सूप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया और इसी Ram Mandir ASI Report के आधार पर ही यह निश्चित किया गया की अयोध्या के विवादित स्थल पर पूर्व में राम मंदिर था ।

500 वर्षों के संघर्ष के बाद जब स्वतंत्र भारत के इतिहास मे 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को हल करते हुए अपना फैसला दिया, जिसमे सम्पूर्ण 7.50 एकड़ जमीन हिन्दू संगठन को दिए जाकर एक ट्रस्ट बनाने के बाद विशाल राम मंदिर बनाने एवं दूसरे पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को अन्यत्र स्थान पर 5 एकड़ जमीन पर एक मस्जिद बनाने के निर्णय दिया । कोर्ट मे जब इस केस पर सुनवाई चल रही थी तब भारतीय पुरातत्व विभाग को जमीन की खुदाई कर संभावित मिलने वाले अवशेषों के बारे मे जानकारी जुटाने के लिए कहा गया और Ram Mandir ASI Report के आधार पर जब कोर्ट का फैसला आ गया उसके बाद जब जमीन का समतलीकरण किया गया तब , उक्त राम जन्मभूमि मे अनेकों प्रकार के अवशेष प्राप्त हुए । इन सभी प्राप्त अवशेषों को निर्माणाधीन राम मंदिर के पास अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में रखा गया है । ये सभी राम मंदिर के अवशेष भविष्य में दर्शनार्थियों के लिए सदैव उपलब्ध रहेंगे ।

विगत दिनों राम मंदिर निर्माण के दौरान Ram Mandir ASI Report प्राप्त अवशेषों की विभिन्न प्रकार के फोटो को रामजन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री चंपत राय ने शेयर करते हुए कहा था कि मंदिर के स्थान की खुदाई के दौरान दर्जनों शिलाएं, स्तम्भ और मूर्तियाँ मिली है जिनपर अनेकों देवी देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं ।  

Ram Mandir ASI Report में पत्थरों की अहम भूमिका

इन पत्थर के अवशेषों में उत्तर भारत के नागर शैली की कलाकृतियां दिखाई देती है, जो किसी मंदिर होने का प्रमाण देते है । सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए गवाही देने वाले इन पत्थरों को Ram Mandir ASI Report के आधार पर अब आम श्रद्धालु भी दर्शन कर सकेंगे । भगवान रामलला के प्राचीन मंदिर से निकले हुए ये पत्थर 1990 के दशक में राम मंदिर के समतलीकरण के दरमियान खुदाई में निकले थे । इन पत्थरो में नागर शैली में बने हुए मंदिर के चौखट,बाजू, आमलक और खंडित मूर्तियां है । हालांकि समतलीकरण के दरमियान निकले कुछ पत्थर तो स्पष्ट हैं लेकिन कुछ के बारे में कुछ नहीं कहा जा सका है ।
अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के निदेशक योगेश यादव बताते है कि संग्रहालय में तीन गैलरी है, जिसमें दो गैलरी गुमनामी बाबा की है और तीसरी गैलरी में राम जन्मभूमि परिसर से प्राप्त अवशेषों को रखा गया है।

Ram Mandir ASI Report

जब भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण अर्थात Archeological Survey of India (ASI) के तत्कालीन महानिदेशक बीबी लाल ने पहली बार राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि का सर्वेक्षण किया था तब उस टीम में के. के. मुहम्मद भी शामिल थे । ये बात 1976 और 1977 की है जब मुहम्मद ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री पूर्ण करने के बाद ‘स्कूल ऑफ़ आर्केयोलॉजी’ में पढ़ना शुरू किया था तब वे इस सर्वेक्षण में बतौर छात्र शामिल हुए थे ।

ASI के निदेशक केके मुहम्मद

कुछ सालों के बाद भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण ASI के निदेशक केके मुहम्मद ने सबको तब चौंका दिया जब उन्होंने विवादित स्थल पर हुए Ram Mandir ASI Report पुरातात्विक सर्वेक्षण का ख़ुलासा करते हुए कहा था कि ‘वहां से प्राचीन मंदिरों’ के अवशेष मिले थे ।
पूर्व महानिदेशक (ASI) बीबी लाल ने भी यही बातें कहीं थीं मगर केके मुहम्मद के बयान ने पूरे विवाद पर एक नया मोड़ ला दिया क्योंकि वो एक मुसलमान थे और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इतिहास में पढ़ाई की थी । उनका कहना है कि पहला सर्वेक्षण सत्तर के दशक में हुआ था लेकिन जो सर्वेक्षण वर्ष 2003 में किया गया उसमें भी तीन मुसलमान शामिल थे जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में काम करते थे ।

Ram Mandir ASI Report

कुछ साल पहले केके मुहम्मद ASI में निदेशक (उत्तर भारत) के पद से सेवानिवृत हुए हैं । आजकल वो केरल के कोझीकोड में रहते हैं ।

इस बारे में केके मुहम्मद कहते हैं कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के पास एक सुनहरा मौक़ा था जब वो इस ज़मीन को हिंदू पक्ष को सौंप देता ताकि वहां राम मंदिर का निर्माण किया जा सके।

दो-दो बार हुए Ram Mandir ASI Report का विश्लेषण करते हुए केके मुहम्मद कहते हैं कि विवादित स्थल पर जो लंबी दीवार और जो गुंबदनुमा ढांचे मिले हैं वो किसी इस्लामिक निर्माण के नहीं हो सकते क्योंकि उनमें मूर्तियां हैं जिनका इस्लामिक इबादतगाह में होने का सवाल ही नहीं उठता ।

उन्होंने ‘मगर प्रणाली’ की मूर्ति का भी उल्लेख किया जिसके अवशेष एएसआई ने विवादित स्थल से अपने सर्वेक्षण के दौरान ढूंढे थे । इसके अलावा उन्होंने मिटटी की बनी कई मूर्तियों और प्रणालियों का भी उल्लेख किया था जिनके अवशेष बरामद किए गए थे । कुछ ऐसे शिलालेख भी मिले हैं जो दिल्ली में क़ुतुब मीनार के पास की मस्जिद में पाए गए शिलालेख के समान हैं ।

Ram Mandir ASI Report पर सवाल

मंदिर और मस्जिद के विवाद से सम्बंधित ASI के दोनों सर्वेक्षणों पर कई इतिहासकारों ने सवाल भी खड़े किए हैं जिनका आरोप है कि ये सर्वेक्षण Ram Mandir ASI Report दक्षिणपंथी रुझान वाले लोगों ने किए थे ।

इसके अलावा, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने आरोप लगाया कि पुरातत्व केवल एक मुकम्मल विज्ञान नहीं है, बल्कि एक ‘असटीक विज्ञान’ है जिसमें सिर्फ हवाला देने या मानने पर ज़ोर दिया जाता है। इस पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले में, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने दो स्वतंत्र पुरातत्वविदों को शामिल किया, जिनमें सुप्रिया विराम और जया मेनन शामिल थीं। इन शोधकर्ताओं ने आइएएसआई के सर्वेक्षण पर एक अलग शोध पत्र जारी करके कई सवालों को उठाया है। ये शोधकर्ता सभी एएसआई सर्वेक्षण के दौरान मौजूद थे, लेकिन केके मुहम्मद उनको सवाल खड़ा करने वालों पर वामपंथी सोच से प्रभावित होने का आरोप लगाते हैं। उनका कहना है कि इस ढाँचे की दीवारें 10वीं शताब्दी के एक मंदिर की हैं, जो पहले हुआ करता था। उन्होंने 10वीं और 12वीं शताब्दी और उसके बाद भारत आए यात्रियों का हवाला देते हुए कहा कि इस सभी यात्रियों ने अपने अपने ‘यात्रा वृतांत’ में अयोध्या में विवादित स्थल पर हिन्दू रीति रिवाज से होने वाली पूजा का हवाला दिया है। केके मुहम्मद ने विलियम फिंच और जोज़फ टैफिनथलर का हवाला दिया और साथ में मुग़ल बादशाह अकबर के ‘दरबार-नामे’ यानी उनके दरबार के इतिहासकार अबू फ़ज़ल द्वारा फ़ारसी में लिखे गए ‘आइन-ए-अकबरी’ के हवाले से कहा कि विवादित स्थल पर ‘भगवान राम की पूजा’ का उल्लेख इनमें किया गया है। फिंच 1607 और 1611 के बीच भारत आए थे, जबकि जोज़फ़ 1766 और 1771 के बीच भारत की यात्रा पर आए थे।

के के मुहम्मद ने किया कई मंदिरों का संरक्षण

  1. केके मुहम्मद को कई प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों को ढूंढकर उनके संरक्षण का श्रेय जाता है। इनमें आगरा के फ़तेहपुर सीकरी का वह स्थान भी है जहाँ मुग़ल बादशाह अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही’ मज़हब की शुरुआत की थी।
  2. के के मुहम्मद ने मध्य प्रदेश के मुरैना के पास बटेश्वर में गुजर राजाओं के दौर के मंदिरों के अवशेषों की न सिर्फ़ खोज की बल्कि उन्होंने पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुके 200 में से 70 मंदिरों का पुनर्निर्माण भी किया।
  3. चूंकि खनन माफ़िया रह-रहकर मंदिर के आसपास विस्फ़ोट कर पत्थरों की तस्करी करता था, केके मुहम्मद ने मंदिरों के संरक्षण के लिए वहां के बीहड़ों में मौजूद डकैतों से मदद भी ली।
  4. उन्हें छत्तीसगढ़ के सबसे ज़्यादा नक्सल प्रभावित बस्तर के दंतेवाड़ा के पास बारसूर और सामलूर मंदिरों के संरक्षण का काम भी किया।
  5. बिहार के केसरिया और राजगीर में बौद्ध स्तूपों की खोज का श्रेय भी केके मुहम्मद को जाता है। वर्ष 2019 में उन्हें उनके कामों के लिए पद्मश्री दिया गया था।
  6. वर्ष 2016 में के के मुहम्मद ने अपनी आत्मकथा ‘नजान इन्ना भारतीयन’ लिखी,  जिसका अर्थ है – ‘मैं, एक भारतीय।’

सुप्रीम कोर्ट को 2018 में सौंपी गई थी Ram Mandir ASI Report

मंदिर के पक्ष में मिले साक्ष्यों को बाकायदा फोटो के साथ ASI ने नवंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। एएसआई ने ये रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर तैयार की थी। माना जाता है कि अयोध्या केस में हाइकोर्ट ने जो फैसला सुनाया था, उसके पीछे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट अहम थी। जाहिर है कि वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट भी सिरे से खारिज नहीं कर सकता।

ASI ने दिया प्रमाण

एएसआई की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि विवादित ढांचे के ठीक नीचे एक बड़ी संरचना मिली है । यहां 10वीं शताब्दी से लेकर ढांचा बनाए जाने तक लगातार निमार्ण हुआ है । खुदाई में यहां जो अवशेष मिले हैं, वह ढांचे के नीचे उत्तर भारत के मंदिर होने का संकेत देते हैं । यही नहीं 10वीं शताब्दी के पहले उत्तर वैदिक काल तक की मूतिर्यों और अन्य वस्तुओं के खंडित अवशेष भी यहां खुदाई के दौरान मिले थे । इनमें शुंग काल के चूना पत्थर की दीवार और कुषाण काल की बड़ी संरचना भी शामिल है ।

जियो रेडियोलॉजिकल सर्वे

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पक्षकारों के विरोध के बावजूद स्वतंत्रता से संज्ञान लेते हुए एक अगस्त 2002 और 23 अक्टूबर 2002 को विवादित स्थल के लिए जियो रेडियोलॉजिकल सर्वे का आदेश जारी किया था। इस सर्वे का कार्यकर्ता तोजो विकास इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड था। संस्था ने 17 फरवरी 2003 को हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस सर्वे की रिपोर्ट में जमीन के अंदर कुछ विसंगतियां पाई गई थीं, जिसे देखते हुए हाईकोर्ट ने 5 मार्च 2003 को एएसआई को विवादित स्थल की खुदाई का निर्देश दिया था। इसके बाद 12 मार्च से 07 अगस्त तक विवादित स्थल पर खुदाई कार्रवाई जारी रही।

ASI Report

Ram Mandir ASI Report में कहा गया है कि विवादित ढांचे के नीचे मिली विशाल संरचना में नक्काशीदार ईंटें, देवताओं की युगल खंडित मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प, पत्तों के गुच्छे, अमालका, कपोतपाली, दरवाजों के हिस्से, कमल की आकृति, गोलाकार (श्राइन) पूजा स्थल जैसी अनेकों चीजें मिली हैं। इसमें उत्तर की ओर निकला एक परनाला भी है, जिसे भगवान शिव के मंदिर से जोड़कर देखा जा रहा है। उस बड़े ढांचे में 50 खंभों का आधार भी  मिला है। ये अवशेष उत्तर भारत के मंदिरों की खासियत से मिलते हैं।

गोलाकार पूजा स्थल

रिपोर्ट के इसी अध्याय में एक खण्ड, सर्कुलर श्राइन यानी गोलाकार पूजा स्थल का विवरण दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, खुदाई के दौरान थोड़ा-बहुत क्षतिग्रस्त, पूर्व की ओर मुख वाला ईटों से बना गोलाकार पूजा स्थल का ढांचा प्राप्त हुआ है। इस गोलाकार ढांचे का पूर्वी सिरा वर्गाकार है। इसमें एक हिस्सा अंग्रेजी के Letter V के आकार का है जो कि टूटा हुआ था और जिसमें जल बाहर निकालने के लिए उत्तर की ओर एक परनाला जैसी संरचना थी, जो कि स्वाभाविक रूप से मूर्ति (डेटी) के अभिषेक के लिए बनाई गई थी, लेकिन मूर्ति वहां मौजूद नहीं थी।

गुप्त और कुषाण काल के अवशेष भी मिले

अयोध्या राम जन्मभूमि की खुदाई में गुप्त काल, उत्तर गुप्त काल और कुषाण काल के अवशेष भी मिले थे। यहां पर गुप्त कालीन और कुषाण कालीन दीवारें मिली थीं। कुषाण कालीन निर्माण कोई साधारण इमारत नहीं थी, बल्कि एक विशाल संरचना थी। यही नहीं शुंग काल की चूना पत्थर की दीवार मिली। ट्रेंच 8 की सातवीं लेयर से लिए गए चारकोल के नमूनों का काल वर्ष 90 से 340 के बीच का पाया गया है।

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