Ayodhya Ram Mandir History : Timeline

Ram Mandir TimeLine

Ayodhya Ram Mandir History को जानने के लिए भारतीय एवं अन्य विदेशी साहित्य, पुरातात्विक अवशेषों को आधार मानते हुए बाद में यह सिद्ध हुआ कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में श्री राम की जन्मभूमि रही है । मुग़ल आक्रमणकारियों के कारण 1528 में जब उसी स्थान पर एक मस्जिद बनाई गई तब से हिन्दू और मुस्लिम पक्ष में विवाद होना शुरू हुआ । किसी भी सरकार ने इसका सम्पूर्ण हल निकालने का प्रयास नहीं किया । आखिरकार सुप्रीम कोर्ट में वर्षों से चलने वाले इस विवाद का पटाक्षेप 9 दिसंबर 2019 को हो गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने उक्त विवादित भूमि को राम जन्मभूमि माना ।

अयोध्या में बाबरी मस्जिदके विध्वंस एवं श्री राम मंदिर निर्माण से लेकर मंदिर उद्घाटन तक अनेकों घटनाएं घटी हैं ।  राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद आज का नहीं, बल्कि सदियों पुराना है. जानते है कि अयोध्या की इस विवादित भूमि पर कब-कब, क्या-क्या हुआ है ।

Ram Janmbhoomi Dispute

मुख्य रूप से अयोध्या विवाद मुग़ल आक्रमणकारियों के कारण 1528 में जब उसी स्थान पर एक मस्जिद बनाई गई तब से हिन्दू और मुस्लिम पक्ष में विवाद होना शुरू हुआ । किसी भी सरकार ने इसका सम्पूर्ण हल निकालने का प्रयास नहीं किया । आइए जानते है ayodhya ram mandir history जिसमे सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 9 दिसंबर 2019 के बाद सब कुछ सामान्य हो गया और राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है ।

Ayodhya Ram Mandir History Timeline

जानते हैं Ram Mandir History of Ayodhya पर तिथीवार घटनाएं :-

  1. वर्ष 1528-29 – मुग़ल आक्रमणकारी बाबर के सेनापति मीर बाकी ने एक मस्जिद बनवाई, जिसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया ।  हिंदू धर्म ग्रंथों की मान्यता के अनुसार इसी जगह भगवान राम का जन्म हुआ था और इसी कारण आरोप रहा कि राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनाई गई थी । हालांकि कई शोधकर्ताओं का कहना है कि असल विवाद की शुरुआत 18वीं सदी में हुई ।
  2. वर्ष 1853- इस जगह पर मंदिर-मस्जिद को लेकर पहला विवाद हुआ , जिसमें हिंदुओं ने आरोप लगाया कि मंदिर को तोड़कर मुस्लिमों ने अपना धार्मिक स्थल बनवाया । इस बात को लेकर पहली बार हिंसा के प्रमाण मिलते हैं ।
  3. वर्ष  1859- तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने मध्यस्थता करते हुए विवादित स्थल का दोनों पक्षों में बंटवारा कर दिया और तारों की एक बाड़ खड़ी कर दी ताकि अलग-अलग जगहों पर हिंदू-मस्लिम अपनी-अपनी प्रार्थना कर सकें ।
  4. वर्ष  1885- मंदिर मस्जिद विवाद ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि पहली बार ये अदालत पहुंचा । हिंदू साधु महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने के लिए इजाजत मांगी, हालांकि अदालत ने ये अपील ठुकरा दी. ।  इसके बाद से मामला गहराता गया ।
  5. वर्ष  1949- हिंदुओं ने बाबरी मस्जिद परिसर में कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर दी, तब से भगवान राम के बाल रूप की हिंदू पूजा करने लगे और मुस्लिमों ने मस्जिद में नमाज पढ़नी बंद कर दी ।
  6. वर्ष  1950- फैजाबाद की जिला अदालत में एक अपील दायर कर गोपाल सिंह विशारद ने भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी, किन्तु उन्हें इजाजत कुछ शर्तों के साथ दी गई
  7. वर्ष 1950- महंत रामचंद्र दास ने उक्त स्थान में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई गई ।  इसी दौरान मस्जिद को ‘ढांचा’ के रूप में संबोधित किया गया ।
  8. वर्ष 1959-  निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के उनके स्वामित्व हेतु हस्तांतरण के लिए मुकदमा दायर किया ।
  9. वर्ष  1961- इस दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा कर दिया ।
  10. वर्ष 1984- विश्व हिंदू परिषद ने व्यापक स्तर पर राम जन्म भूमि का ताला खोलने और इस जगह पर मंदिर बनवाने के लिए अभियान शुरू किया और इसके लिए समिति का गठन हुआ ।
  11. फरवरी 1986- एक अहम फैसले के तहत स्थानीय कोर्ट ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी और ताले दोबारा खोले गए । इस समय इससे नाराज मुस्लिमों ने फैसले के विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाकर विरोध दर्ज कराया ।
  12. जून 1989- इस विवाद पर प्रथम बार किसी राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया ।
  13. नवंबर 1989- लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक राम मंदिर के शिलान्यास की इजाजत दी ।
  14. 25 सितंबर 1990- बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली ताकि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके ।  हजारों कार सेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए । इस यात्रा के बाद व्यापक स्तर पर साम्प्रदायिक दंगे हुए।
  15. नवंबर 1990- आडवाणी की रथ यात्रा के बिहार में पहुंचते ही उनकी गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया ।
  16. 6 दिसंबर 1992- यह दिन ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है,  इस रोज हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया और अस्थायी राम मंदिर बना दिया गया । चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे, उस समय उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब मुख्यमंत्री मुलायमसिंघ यादव की सरकार ने कारसेवकों पर गोलियां चलाई, जिसमें लगभग 2000 लोगों के मारे जाने का रिकॉर्ड है ।
  17. 16 दिसंबर 1992- तब विवादित परिसर में हुई तोड़-फोड़ की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया । जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में इसकी जांच शुरू की गई ।
  18. सितंबर 1997- विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने इस बारे में 49 लोगों को दोषी करार दिया, जिसमें बीजेपी के कुछ प्रमुख नेताओं का नाम भी शामिल रहे ।
  19. वर्ष  2001- विश्व हिन्दू परिषद ने मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए डेडलाइन तय कर दी ताकि जल्द से जल्द मंदिर का निर्माण शुरू किया जा सके ।
  20. अप्रैल 2002- इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई आरंभ की ।
  21. मार्च-अगस्त 2003- इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में जांच के लिए खुदाई शुरू की । पुरातत्वविदों ने कहा कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष के प्रमाण मिले हैं, हालांकि इसे लेकर भी अलग-अलग मत थे ।
  22. जुलाई 2009- इस लिब्रहान आयोग गठन के लगभग डेढ़ दशक बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी । जिसमें विवादित स्थल को तीन भागों में बांटने का आदेश दिया गया , प्रथम भाग – राम जन्मभूमि, दूसरा भाग – निर्मोही अखाड़ा  एवं तीसरा भाग – सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया ।
  23. 28 सितंबर 2010- उसक निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज कर दी ।
  24. 30 सितंबर 2010- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा, इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को दिया गया.
  25. 9 मई 2011- सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी ।
  26. 21 मार्च 2017- सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न पक्षकारों से आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की सलाह दी ।
  27. 19 अप्रैल 2017- सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया ।
  28. 1 दिसंबर 2017- लगभग 32  सिविल सोसाइटी सदस्यों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्ष 2010 के फैसले को चुनौती दी ।
  29. 8 फरवरी 2018- सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त सिविल अपील पर सुनवाई शुरू कर दी ।
  30. 20 जुलाई 2018- राम जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा ।
  31. 29 अक्टूबर 2018- सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनाई पर इनकार करते हुए सम्पूर्ण प्रकरण जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया ।
  32. 9 दिसंबर 2019- दिन शनिवार को Ram Janmbhoomi Dispute पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने Ayodhya Verdict पर एक सर्वसम्मत फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि थी, पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि ट्रस्ट को सौंप दी और सरकार को वैकल्पिक स्थल के रूप में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।
  33. 2020: पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया और शिलान्यास किया।
  34. 22 जनवरी 2024- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य जारी रहते हुए श्री राम लल्ला अर्थात श्री राम के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी , जिसके लिए पूरे सप्ताह देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ।

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कौन था मीर बाकी? जिसका अयोध्या विवाद में बार-बार नाम लिया जाता है ?

मीर बाकी का नाम अयोध्या विवाद में उभरता है क्योंकि कहा जाता है कि इसी कमांडर ने अपने बादशाह बाबर के नाम पर यहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी। मस्जिद के शिलालेखों के अनुसार, मुग़ल बादशाह बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने सन 1528-29 में इस मस्जिद का निर्माण किया था। एक समय यह उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी मस्जिद थी और विकीपीडिया के अनुसार, 1940 के दशक में इसे मस्जिद-ए-जन्मस्थान भी कहा जाता है। इस नाम से अंदाजा लगता है कि इस भूमि को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है।

माना जाता है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनाने के लिए उस वक्त की सर्वोत्तम जगह को चुना और रामकोट, यानी राम के किले को इस कार्य के लिए चुना। जनश्रुतियों के अनुसार, मीर बाकी ने मस्जिद बनाने के लिए वहां पहले से मौजूद भगवान राम के मंदिर को तोड़ा था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष इस स्थान पर पूर्व में मंदिर होने की बाद को नकारता रहा है। साल 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी पाया कि मस्जिद के नीचे एक पुराना खंडहर मौजूद है, जो हिंदू मंदिर से मिलता-जुलता है।

मीर बाकी के बारे में और अधिक जाने : Read मीर बाकी का इतिहास

मुग़ल साम्राज्य में अयोध्या

अयोध्या में एक ऐसा स्थान जिसे रामदुर्ग या रामकोट (राम का किला) कहा जाता था, इसी स्थान को आधुनिक समय में, एक मस्जिद माना गया जिसके बारे में कहा गया कि इसी स्थान पर राम का जन्म हुआ था यही Ayodhya Ram Mandir in Mughal Empire था । इस मस्जिद पर एक शिलालेख था जिसमें कहा गया था कि यह 1528 में मीर बाकी ने बाबर के आदेश पर बनाई थी।

राम चबूतरा निर्माण : मुग़ल साम्राज्य में अयोध्या