श्रीराम जन्मभूमि मंदिर: नवीन युग की शुरुआत
आगामी पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत 2080, सोमवार (दिनांक 22 जनवरी 2024), यह दिन भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है। इस दिन प्रभु श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह को श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे नवीन Ayodhya Ram Mandir Garbhgruh में विराजित किया जाएगा, जिससे इस धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर को हम देख पाएंगे ।
मंदिर का नवनिर्माण: धार्मिकता की नई ऊँचाइयों की ओर :- प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक, श्रीराम मंदिर, नए युग की शुरुआत को संसूचित कर रहा है। इसका निर्माण सबसे सावधानीपूर्वक और उत्साह से किया जा रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस महत्वपूर्ण स्थल की महिमा को समझ सकें।
श्रीराम जन्मभूमि: धरोहर का संजीवनी :- श्रीराम जन्मभूमि, भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धारोहर है। नवीन मंदिर के गर्भगृह में प्रभु श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह का स्थान होगा, जिससे भक्तों को नए युग की शुभकामनाएं मिलेंगी।
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम: नवीन मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम होगा, जो भक्तों को नए युग की शुरुआत में श्रद्धांजलि अर्पित करेगा।
भूतल की तैयारी: नए मंदिर के भूतल की तैयारी सभी सुखद हो रही है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इसे समर्पित कर सकें।
भगवान श्रीराम के 16 गुणों का दर्शन: गर्भगृह में भगवान श्रीराम के 16 गुणों का सुंदर नक्काशीत दर्शन होंगे, जो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बनाते हैं।
भव्यता का संकेत
आगामी 22 जनवरी 2024 का दिन भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत को दर्शाएगा, जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में प्रभु श्रीराम के बाल रूप का प्रतिष्ठान होगा। यह स्थल धार्मिक समृद्धि, एकता और भारतीयता के प्रति हमारे समर्थन का प्रतीक है और हम सभी को इस महत्वपूर्ण क्षण का उत्साह बनाए रखना चाहिए।
शुभ दीपावली
Shubh Deepawali pic.twitter.com/ReRJ8CBKRO— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) November 12, 2023
प्रभु श्री राम के दर्शन करने हेतु आप सभी को निमंत्रण :
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण
नूतन विग्रह हेतु तैयार 5.5 फीट की तीन मूर्तियाँ
राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण 500 साल के इंतजार के बाद हो रहा है, जो अयोध्या को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना रहा है। इस विशेष स्थल के लिए बनाई जा रही 5.5 फीट की तीन मूर्तियाँ जिनमें से एक Ayodhya Ram Mandir Garbhgruh में स्थापित होगी, निम्नलिखित हैं:
- श्याम रंग की मूर्ति
श्याम रंग की मूर्ति एक अत्यंत सुंदर और आकर्षक रूप में बन कर तैयार है, जिसे मैसूर के अरुण योगिराज ने शालिग्राम पत्थर से 6 माह में तैयार कर ट्रस्ट को सौंप दी है । यह मूर्ति भगवान राम की दिव्यता और साकार रूप को दर्शाती है। श्याम रंग का प्रतीक यहाँ एक आध्यात्मिक अर्थ को बयान करता है, जो राम के विष्णु अवतार के साकार रूप को दर्शाता है । - गहरे काले रंग की शालिग्राम मूर्ति
एक अन्य गहरे काले रंग की मूर्ति का निर्माण बेंगलुरू के मूर्तिकार गणेश भट्ट कर रहे हैं जो शालिग्राम शिला से बन रही है । पवित्र शालिग्राम पत्थर का चयन मंदिर को एक विशेष माहौल प्रदान कर रहा है, जो भक्तों को भगवान के साथ अत्यंत निकटता महसूस कराता है। - सफेद पत्थर से बनी मूर्ति
तीसरी मूर्ति सफेद संगमरमर से राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे बना रहे हैं । जिससे यहाँ का एक शानदार और पवित्र वातावरण बना रहा है। सफेद पत्थर का चयन उस शुद्धता और पवित्रता को दर्शाता है, जो भगवान के प्रति परिशुद्ध पवित्रता को दर्शाता है ।
राम जन्मभूमि ट्रस्ट का निर्णय अंतिम
आगामी 29 दिसंबर 2023 को कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य के निर्देश पर श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट तय करेगा कि कौन सी मूर्ति Ayodhya Ram Mandir Garbhgruh में लगाई जाएगी। इस निर्णय के पीछे एक विशेष तात्कालिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया होगी, जिसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी होगी।
महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
- राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में उपयोग हो रहे मार्गदर्शक तत्वों ने इसे एक अद्वितीय और असाधारण बना दिया है।
- प्राचीन स्थल: यह मंदिर प्राचीनतम स्थलों में से एक है, जिसे भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा माना जाता है।
- कला और शिल्पकला: मंदिर में उपयोग की जा रही सागौन की लकड़ी से बनी दरवाजे और मूर्तियाँ इसे एक कला और शिल्पकला का केंद्र बना देती हैं।
- आध्यात्मिक माहौल: गहरे आध्यात्मिक माहौल के कारण यह मंदिर भक्तों के लिए एक ध्यान केंद्र बन रहा है, जहाँ वे शांति और सकारात्मक ऊर्जा महसूस कर सकते हैं।
- राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से किया जा रहा है, जिसमें भक्ति, कला और सांस्कृतिक विरासत का संगम है। इस मंदिर की उच्चस्तरीय महत्ता और सौंदर्य को देखते हुए यह एक अद्वितीय धार्मिक स्थल के रूप में उभर रहा है।
Ayodhya Ram Mandir Garbhgruh की सुंदरता: मंदिर की नई शोभा
गर्भगृह का आकार और नक्काशी :- Ayodhya Ram Mandir Garbhgruh जिसमें भगवान राम की मूर्ति स्थित स्थापित होगी, का आकार अष्टकोणीय है, जिससे इसे एक विशेष भावना के साथ बनाया गया है। यहां भगवान श्रीराम के 16 गुणों की नक्काशी की गई है, जो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बनाते हैं। इससे भक्तों को विशेष धार्मिक भावना महसूस होगी।
गणेशजी और हनुमानजी की मूर्तियाँ :- Ayodhya Ram Mandir Garbhgruh के बाहर लगाए जा रहे गणेशजी और हनुमानजी की मूर्तियाँ प्रभु श्री राम के साथ शुभ संयोग और परम भक्ति को प्रदर्शित करेंगे । गणेशजी विद्या के देवता, भक्तों को बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति में मदद करेंगे जबकि हनुमानजी, भक्ति के भावनाओं के साथ सुरक्षा और साहस की भावना से युक्त होंगे।
गरुड़ जी की मूर्ति :- मंदिर के सामने लगाए जा रहे गरुड़ जी की मूर्ति भक्तों को सुरक्षा और शक्ति की भावना से युक्त करेगी। गरुड़ जी विष्णु के वाहन एक प्रतीक हैं जो प्रभु श्री राम के परिवहन और सुरक्षा को प्रदर्शित करते हैं। इस मूर्ति के दर्शन पर भक्तों को विशेष सुरक्षा की अनुभूति होगी।
मंदिर की नई शोभा :- इस नए मंदिर की नक्काशी और मूर्तियाँ भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव के लिए प्रेरित करेंगी। यह स्थल आत्मा को शांति और शुद्धि की अनुभूति कराएगा और भक्तों को एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव प्रदान करेगा।
भारत में मंदिर निर्माण की 16 शैलियाँ: एक अद्वितीय धार्मिक सागर
भारत अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विख्यात है, जिसमें मंदिरों का निर्माण एक अद्वितीय स्थान रखता है। भारत में मंदिर निर्माण की 16 शैलियाँ हैं, जिनमें से हम प्रमुख तीन शैलियों पर विचार करेंगे, जो धार्मिक और स्थानीय सांस्कृतिक विविधता को प्रतिष्ठित करती हैं।
उत्तर भारत में नागर शैली :-नागर शैली, उत्तर भारत में धार्मिक स्थलों की पहचान का प्रतीक है। इसमें विशेष प्रकार की शिखरों और शिल्पकला का समृद्ध उपयोग होता है। नए अयोध्या मंदिर का निर्माण भी नागर शैली में हो रहा है, जिससे इसे भारतीय स्थानीयता के साथ मिला हुआ एक नया आयाम मिल रहा है।
दक्षिण में द्रविड़ शैली :-द्रविड़ शैली, दक्षिण भारत के मंदिरों की शृंगारी बौद्धि का प्रतीक है। इसमें प्रमुखता से गोपुरम और विविध रंगीन शिखर होते हैं, जो मंदिर को एक आकर्षक रूप में प्रस्तुत करते हैं।
मध्यपूर्व में पगोड़ा शैली :-पगोड़ा शैली, मध्यपूर्व के क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बनाती है। इसमें चारों ओर से सुरक्षा के लिए पगोड़ा आकृति का प्रयोग होता है, जो किसी मंदिर को पूर्ण सुरक्षा का भाव प्रदान करता है।
अयोध्या का राम मंदिर: एक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अनुभव :- नए अयोध्या मंदिर का निर्माण नागर शैली में हो रहा है, जिससे यह एक अद्वितीय और सुंदर पवित्र स्थल बन रहा है। मंदिर में विष्णु के दशावतार, 64 योगिनी, 52 शक्तिपीठ और सूर्य के 12 स्वरूप की मूर्तियाँ सजीव हो रही हैं। प्रत्येक पिलर में 16-16 मूर्तियाँ उकेरी गई हैं, जिससे मंदिर को एक अद्वितीय और समृद्ध दृष्टि मिलती है। मंदिर में कुल 250 पिलर हैं, जो इसे एक भव्य स्वरूप में प्रस्तुत करते हैं।
अयोध्या: श्रीराम मंदिर एवं नगर का समृद्धि से भरा सफर
अयोध्या जिसे हम प्राचीन धरोहर और श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए जानते हैं, यहां की समृद्धि और विकास के सफर मे हम सभी इसका हिस्सा बन रहे है। नए अयोध्या मंदिर और शहर के विकास की बड़ी स्थानीय परियोजनाओं के बारे में जानने के लिए, हम इस लेख में विस्तृत रूप से विचार करेंगे।
नया अयोध्या मंदिर: धार्मिक स्थल से महत्वपूर्ण ऊंचाइयों की ओर :- श्रीराम मंदिर, जो अयोध्या में बन रहा है, विश्व में सबसे बड़े हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक है। इसमें कुल दो हजार करोड़ रुपये का खर्चा होने का अनुमान है, जिससे इसे धार्मिक एवं सांस्कृतिक सामर्थ्य की ऊंचाइयों तक पहुँचाने का लक्ष्य है।
अयोध्या में विकास के बड़े कदम – पथ योजना :- अयोध्या में प्रमुख रूप से चार पथ हैं – रामपथ, भक्तिपथ, जन्मभूमि पथ, और धर्मपथ। इनमें से रामपथ की कुल दूरी 13 किलोमीटर है और इसके विकास के लिए 800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है ।
अयोध्या में आवागमन सुविधा विश्वस्तरीय :– अयोध्या में विकास को तेजी से बढ़ाने के लिए श्रीराम एयरपोर्ट बनकर तैयार है, जिससे शहर का देश के अन्य हिस्सों से सीधा जुड़ाव बढ़ा है। साथ ही अयोध्या जंक्शन रेल्वे स्टेशन और अयोध्या धाम बस स्टेंड भी नए विकास की ऊंचाइयों तक पहुँचने में मदद कर रहे हैं। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 30 दिसंबर को करेंगे । यह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के रिहर्सल की तरह देखा जा रहा है ।
नगर का पुनर्निर्माण: श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ, अयोध्या को पुरातन स्वरूप देने के लिए 32 हजार करोड़ खर्च हो रहा है, जिससे यह भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का धार्मिक नगर बन रहा है।
अयोध्या का यह नया सफर धार्मिक एवं सांस्कृतिक सामर्थ्य की ऊंचाइयों को छूने का प्रयास कर रहा है, जो न केवल भारतीय नागरिकों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत होने की दिशा में अग्रसर है।